लॉकडाउन के दौरान यूपी के 60 से ज्यादा नए जिलों में फैला कोरोना संक्रमण
देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश ने पिछले 45 दिनों में औसतन हर दिन 66 नए कोरोना केस दर्ज किए. इस अवधि में घातक वायरस ने हर दिन औसतन 1 मरीज की जान ली
- कोरोना के कारण 25 मार्च से लागू हुआ था लॉकडाउन
- यूपी में पिछले 45 दिनों में औसतन हर दिन 66 नए केस
देश में 25 मार्च को जब लॉकडाउन अमल में आया तो उत्तर प्रदेश के 75 में से 66 जिले कोरोना वायरस से मुक्त थे. छह हफ्ते के लॉकडाउन के बाद बुधवार, 6 मई को प्रदेश में ऐसे जिलों की संख्या सिर्फ तीन रह गई, जहां से कोरोना वायरस का एक भी पॉजिटिव केस सामने नहीं आया.
डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) ने पाया कि देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले इस राज्य ने पिछले 45 दिनों में औसतन हर दिन 66 नए केस दर्ज किए. इस अवधि में घातक वायरस ने हर दिन औसतन 1 मरीज की जान ली. इसी दौरान औसतन 22 मरीज हर दिन ठीक हुए या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई.
उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस का फैलाव
7 मई की सुबह तक, यूपी में कुल 2,998 केस रिपोर्ट हो चुके थे. वहीं 60 मौतें हुईं और 1,130 रिकवर हुए. यह संक्रमण राज्य के 72 जिलों यानि 96 प्रतिशत जिलों में फैल गया है. 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के दिन तक राज्य के सिर्फ नौ जिलों में कोरोनो वायरस केस सामने आए थे.
यूपी सबसे ज्यादा प्रभावित जिला
क्या यूपी पा सकता है काबू?
पुष्ट केस प्रति 10 मिलियन आबादी एक पैमाना है जो एक राज्य में संक्रमण की गंभीरता को दर्शाता है. इस पैमाने के मुताबिक यूपी में प्रति 10 मिलियन आबादी पर 87 पुष्ट केस रिपोर्ट हुए हैं. दिल्ली (1,155), लद्दाख (951) और महाराष्ट्र (597) इस पहलू से देश में सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. DIU ने विश्लेषण के लिए राज्यों की आबादी के संदर्भ में 2019 आधार डेटा पर फोकस किया.
क्या वक्र को समतल कर सकता है यूपी?
अन्य राज्यों से घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों की निगरानी और स्क्रीनिंग में यूपी को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. 30 लाख से ज्यादा मजदूर पहले ही लौट चुके हैं. अभी और भी बहुत सारे मजदूरों के लौटने की संभावना है. योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में लौटने वाले सभी मजदूरों के लिए अनिवार्य चेक-अप का ऐलान किया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में कहा था, “संबंधित राज्य सरकारों को सूचित किया जाना चाहिए कि वे अपने यहां रहने वाले उत्तर प्रदेश के मजदूरों की सूची तैयार करें, उनका हेल्थ चेकअप करें और उनके लौटने में मदद करें. उत्तर प्रदेश में लौट आए मजदूरों का अनिवार्य रूप से मेडिकल चेकअप होना चाहिए. इस काम के लिए इंफ्रा-रेड थर्मामीटर उपलब्ध कराए जाने चाहिए.”