भारत-चीन विवाद पर आईपीएल से स्पॉन्सर विवो को हटाने पर मंथन , बीसीसीआई ने बुलाई खास बैठक
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई ने आईपीएल स्पॉन्सरशिप को रिव्यू करने का फैसला किया है। बोर्ड ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि चीनी सेना के साथ लद्दाख में हुई हिंसक झड़प में हमारे जवानों ने शहादत दी। इसे ध्यान में रखते हुए आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल ने अगले हफ्ते लीग की स्पॉन्सशिप डील के रिव्यू के लिए जरूरी मीटिंग बुलाई है।
इसमें स्मार्टफोन बनाने वाली चीनी कंपनी वीवो से हुई डील को लेकर फैसला हो सकता है। आईपीएल की टाईटल स्पॉन्सर वीवो बोर्ड को हर साल 440 करोड़ रुपए देती है। इसके साथ पांच साल का करार 2022 में खत्म होगा।
आईपीएल का ट्वीटः
Taking note of the border skirmish that resulted in the martyrdom of our brave jawans, the IPL Governing Council has convened a meeting next week to review IPL’s various sponsorship deals
पेटीएम में भी अलीबाबा की हिस्सेदारी
वीवो के अलावा मोबाइल पेमेंट सर्विस पेटीएम की भी आईपीएल की स्पॉन्सरशिप डील का हिस्सा है। इस कंपनी में भी चीन की कंपनी अलीबाबा ने निवेश किया है। पेटीएम में अलीबाबा की हिस्सेदारी 37.15 फीसदी है। इसके अलावा चीन की वीडियो गेम कंपनी टेनसेंट का स्वीगी और ड्रीम-11 में 5.27 फीसदी की हिस्सेदारी है। यह सभी चीनी कंपनियां बीसीसीआई की स्पॉन्सर हैं।
टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सर बायजू में भी चीनी कंपनी की हिस्सेदारी
वहीं, टीम इंडिया की मौजूदा जर्सी स्पॉन्सर बायजू में भी चीनी कंपनी टेनसेंट की हिस्सेदारी है। बायजू ने पिछले साल ही बीसीसीआई से पांच साल का करार किया है। इसके तहत वह बोर्ड को 1079 करोड़ रुपए देगा। बैठक में यह फैसला होगा कि वीवी के साथ 2022 तक डील जारी रखी जाए या मौजूदा हालात में इस डील को बीच में कैंसिल कर दिया जाए।
वीवो की स्पॉन्सरशिप पर बात होगी
आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के सदस्य ने न्यूज एजेंसी को बताया कि बैठक में पहली प्राथमिकता वीवो, ड्रीम-11 और स्वीगी से हुई स्पॉन्सरशिप डील को लेकर होगी। क्योंकि इन कंपनियों में चीन का सीधा निवेश है। वहीं, पेटीएम और बायजू के बारे में यही बात नहीं कही जा सकती है। लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि बैठक में इन पर बात होगी या नहीं।
एक दिन पहले ही बीसीसीआई ट्रेजरर अरूण धूमल ने कहा था कि वीवो से हमारा करार 2022 तक है। इसके बाद ही स्पॉन्सरशिप का रिव्यू किया जाएगा।
पैसा आ रहा है, जा नहीं रहा
धूमल ने कहा था कि वीवो से स्पॉन्सरशिप करार के जरिए पैसा भारत में आ रहा है, न कि वहां जा रहा है। हमें यह समझना होगा कि चीनी कंपनी के फायदे का ध्यान रखने और चीनी कंपनी के जरिए देश का हित साधने में बड़ा फर्क है।
बोर्ड केंद्र सरकार को 42% टैक्स देता
धूमल ने कहा कि चीनी कंपनियां भारत में अपने प्रोडक्ट बेचकर जो पैसा कमाती हैं, उसका बड़ा हिस्सा ब्रांड प्रमोशन के नाम पर बीसीसीआई को मिलता है। बोर्ड उस कमाई पर केंद्र सरकार को 42% टैक्स देता है। ऐसे में यह करार चीन के नहीं, बल्कि भारत के फायदे में है।