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लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के
बाद भारतीय रेलवे की ओर से एक बड़ा फैसला लिया गया है। रेलवे ने चीन की कंपनी को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) का ठेका रद्द करने का निर्णय लिया है। चीन की कंपनी सीआरसीडी को मुगलसराय-कानपुर खंड में सिग्नल लगाने का काम दिया गया था।
चीनी कंपनी ने 2016 में सिग्नल का काम शुरू किया। कंपनी को इस साल फरवरी में काम पूरा करना था। कंपनी ने पांच साल में महज 20 फीसदी काम किया। कोरोना काल में कंपनी का काम पूरी तरह रुक गया।
कोरोना से पहले काम की देखरेख के लिए एक दर्जन से अधिक विशेषज्ञ लगाए गए थे। अब इनकी संख्या घटकर एक चौथाई रह गई थी। डीएफसी का मुगलसराय-कानपुर खंड के लगभग सभी काम विश्व बैंक के कर्ज से हो रहे हैं।
चीनी कंपनी के काम को लेकर विश्व बैंक भी खुश नहीं था। पिछले कई महीने से विश्व बैंक, डीएफसी और कंपनी के प्रतिनिधियों के बीच काम तेज करने को लेकर मीटिंग हो रही थी। इसके बाद भी कंपनी के काम में सुधार नहीं हुआ।
डीएफसी के महाप्रबंधक ओमप्रकाश ने कहा कि कंपनी का काम धीमा था लेकिन आगे कुछ भी बोलने से मना कर दिया। डीएफसी सूत्रों का कहना था कि चीनी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की अधिकृत जानकारी उनके पास नहीं है। स्थिति एक-दो दिन में स्पष्ट होगी।