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सोशल मीडिया के पोस्ट पर दंगाइयों का बड़ा दुस्साहस

सोशल मीडिया के पोस्ट पर दंगाइयों का बड़ा दुस्साहस

फेसबुक पर एक आपत्तिजनक टिप्पणी से खफा अराजक भीड़ ने बेंगलुरु में थाने पर धावा बोलकर जिस तरह बड़े पैमाने पर हिंसा की, वह जहालत के साथ गुंडागर्दी की पराकाष्ठा है। आखिर जब पुलिस आपत्तिजनक पोस्ट लिखने वाले कांग्रेसी विधायक के रिश्तेदार के खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार थी और बाद में उसे जेल भी भेज दिया गया तब फिर बेंगलुरु के साथ ही अपने समाज और देश को नीचा दिखाने वाली खौफनाक हरकत क्यों की गई? 
आखिर इस दंगाई भीड़ को उनसे अलग कैसे किया जा सकता है, 

जिन्होंने कुछ समय पहले लखनऊ में कमलेश तिवारी को मौत के घाट उतार दिया था या फिर अभी हाल में पाकिस्तान में ईशनिंदा के एक आरोपित को अदालत में घुसकर मार दिया था? बेंगलुरु की दंगाई भीड़ ने पहले जिस तरह विधायक के घर को फूंका और फिर थाने को भी तहस-नहस करने के साथ सैकड़ों वाहन जला दिए, उससे तो यही लगता है कि असल इरादा खुली गुंडागर्दी का प्रदर्शन कर दहशत का माहौल कायम करना था। पगलाई भीड़ के हमले में 50 से अधिक पुलिस वालों का घायल होना यही बताता है कि अगर वह गोली नहीं चलाती तो और भी अनर्थ हो सकता था।