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एक सितंबर से अपने लोन की किस्त समय से अदा करें , नहीं तो खाता हो जाएगा डिफॉल्टर घोषित
रिजर्व बैंक ने कोरोना महामारी को देखते हुए जो लोन मोरेटोरियम दिया था, वह 31 अगस्त को खत्म हो जाएगा। एक सितंबर से आपको अपने लोन पर किस्तें चुकानी होगी। यदि किस्तें नहीं चुकाई तो बैंक आपको डिफॉल्टर घोषित कर कार्रवाई कर सकता है।
हालांकि, रिजर्व बैंक ने बैंकों को लोन रीस्ट्रक्चरिंग की अनुमति दी है। इससे कंपनियां और व्यक्तिगत लोन की अवधि दो साल बढ़ाई जा सकती है। हालांकि, अब भी मोरेटोरियम की अवधि में लोन के ब्याज पर ब्याज का मसला अभी उलझा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा है।
- यह कहना गलत है। आरबीआई को भी पता है कि हालात अभी बेहतर नहीं हुए हैं। इस वजह से उसने मोरेटोरियम तो खत्म किया, लेकिन लोन रीस्ट्रक्चरिंग का ऑप्शन देकर कंपनियों और अन्य कर्जदाताओं को राहत देने की कोशिश की है।
- कोरोना की वजह से इकोनॉमी में मंदी है। बैंकों ने जो लोन दिए हैं, उसकी रिकवरी में दिक्कत हो रही है। कर्जदार चाहकर भी समय पर किस्तें नहीं चुका पा रहे हैं। उन्हें राहत देने के लिए ही रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की घोषणा की थी।
- इसके तहत आरबीआई ने मार्च 2020 में एक मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक सभी टर्म लोन्स पर किस्तों पर मोरेटोरियम दिया था। यानी यदि इन तीन महीनों में किस्त नहीं चुकाई तो भी आपके क्रेडिट स्कोर पर उसका असर नहीं हुआ।
- बाद में इस मोरेटोरियम पीरियड को तीन महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त, 2020 तक लागू किया था। अगस्त में ही रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी जारी हुई और इसमें तय किया गया कि मोरेटोरियम को और बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है।
- इसका सीधा मतलब यह है कि सितंबर से आपको अपने होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन पर पहले की तरह किस्त चुकानी होगी। यदि नहीं चुकाई तो बैंक आपको डिफॉल्टर घोषित करेगा। इससे आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित होगा।
- वैसे, अभी भी इकोनॉमी रिकवरी के मोड में है। पूरी तरह रिकवर नहीं हुई है। इस वजह से बैंकों को आरबीआई से लोन रीस्ट्रक्चरिंग की अनुमति मिल गई है। बैंक अपने कर्जदारों के लोन का रीपेमेंट शैड्यूल बदल सकते हैं, पीरियड बढ़ा सकते हैं या पेमेंट हॉलीडे दे सकते हैं।
- लोन रीस्ट्रक्चरिंग का लाभ उन सभी कर्जदारों को मिलेगा, जिन्हें कोरोनावायरस की वजह से परेशानी हुई है या हो रही है। इनमें न केवल होम लोन, व्हीकल लोन या पर्सनल लोन लेने वाले व्यक्तिगत कर्जदाता है, बल्कि कंपनियां भी शामिल हैं।
- यानी यदि आप मोरेटोरियम खत्म होने के बाद भी होम लोन या व्हीकल लोन नहीं चुका पा रहे हैं तो आपको अपने बैंक से संपर्क करना होगा। वह केस-टू-केस आधार पर लोन रीस्ट्रक्चर कर सकते हैं। इसके लिए आपका लोन प्रोफाइल देखा जाएगा।
- वैसे, आरबीआई ने सिर्फ उन्हीं कर्जदारों के लोन को रीस्ट्रक्चरिंग करने की अनुमति दी है, जिनका 1 मार्च, 2020 की स्थिति में 30 दिन से ज्यादा का डिफॉल्ट नहीं था। यानी जिन पर कोरोनावायरस-प्रेरित लॉकडाउन का सीधा असर हुआ है।
- इससे पुराने डिफॉल्टर इस स्कीम में एडजस्ट नहीं हो सकेंगे। बैंकों को रीस्ट्रक्चरिंग के बाद बचे कर्ज पर अतिरिक्त प्रावधान करने होंगे। इसका मतलब यह है कि रिजॉल्युशन प्लान नए डिफॉल्टरों पर ही होगा।
- ईएमआई मोरेटोरियम में किस्तें न चुकाने की छूट थी। इस दौरान जो भी ब्याज बनता, वह बैंक आपके मूल धन में जोड़ देते। जब ईएमआई शुरू होगी तो आपको पूरी बकाया राशि पर ब्याज चुकाना होगा। यानी मोरेटोरियम अवधि के ब्याज पर भी ब्याज लगेगा।
- लोन का रीस्ट्रक्चरिंग इससे पूरी तरह अलग है। यहां बैंकों को ज्यादा अधिकार मिल गए हैं। वह यह तय कर सकेंगे कि ईएमआई को घटाना है, लोन का पीरियड बढ़ाना है, सिर्फ ब्याज वसूलना है, या ब्याज दर एडजस्ट करना है।
- आरबीआई ने पर्सनल लोन में भी एक बार ही रीस्ट्रक्चरिंग की अनुमति दी है। लेकिन, बैंक या वित्तीय संस्थान अपने स्टाफ को दिए लोन को रीस्ट्रक्चर नहीं कर सकेंगे।
- इसके अलावा 1 मार्च 2020 को यह अकाउंट स्टैंडर्ड होना चाहिए। यानी उसमें 30 दिन से ज्यादा का डिफॉल्ट नहीं होना चाहिए।
- यदि आप पर्सनल लोन की किस्ते नहीं चुका पा रहे हैं तो 31 दिसंबर से पहले लोन को रीस्ट्रक्चर करा सकते हैं। बैंकों को आपके आवेदन पर 90 दिन में फैसला लेना होगा। बैंक लोन का रीपेमेंट पीरियड दो साल से ज्यादा नहीं बढ़ा सकेंगे।
- इस मसले पर फिलहाल कुछ भी कहा नहीं जा सकता। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। पिछले बुधवार को ही इस पर सुनवाई भी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने नए नियमों पर नाराजगी जताई है। एक हफ्ते में केंद्र सरकार से अपनी राय बताने को कहा है।
- कोर्ट का मानना है कि सवाल मोरेटोरियम के दौरान ब्याज पर छूट देने का नहीं है बल्कि इस पर अर्जित ब्याज पर फिर ब्याज वसूलने को लेकर है। कोरोना की वजह से समय बड़ा चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में यह गंभीर मुद्दा है कि किस्तों को स्थगित किया जा रहा है और दूसरी तरफ ब्याज पर ब्याज लिया जा रहा है।
- रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि लोन मोरेटोरियम लॉकडाउन का एक अस्थायी समाधान था। यह परमानेंट फिक्स नहीं था। नए प्लान के तहत बैंक अपने क्राइटेरिया के अनुसार अपने कस्टमर्स को मोरेटोरियम दे सकेंगे।
- एक्सपर्ट पैनल लोन रीस्ट्रक्चरिंग और मोरेटोरियम बढ़ाने के संबंध में गाइडलाइन तय कर रहा है। उसके आधार पर बैंकों को यह पहचान करना आसान हो जाएगा कि किस अकाउंट को रीस्ट्रक्चर किया जा सकता है। 6 सितंबर तक यह क्राइटेरिया घोषित कर दिया जाएगा।