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गाजीपुर जिले के नूरपुर कांड में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रखीं नजर , पीड़ित परिवार में जगा न्याय की आस
यूपी के गाजीपुर जिले के नूरपुर कांड में हो रही कार्रवाई एवं पल-पल की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नजर रखे हुए हैं। इस मामले में सीएम की निगाह पड़ने के बाद जिला एवं पुलिस प्रशासन भी अपनी गर्दन बचाते फिर रहा है । सीएम के आदेश पर बीते दो अगस्त को जिले के प्रभारी मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला एवं विधान परिषद सदस्य विशाल सिंह चंचल पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे। इसके बाद अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को दी थी। इसके बाद शनिवार की रात नगर के तत्कालीन थानाध्यक्ष समेत पांच पुलिस कर्मियों को सीएम ने निलंबित कर दिया है।
इस कार्रवाई से पुलिस उत्पीड़न के शिकार अन्य लोगों में अब न्याय की आस जगी है। नूरपुर निवासी पीड़ित फौजी परिवार सीएम के इस कार्रवाई से काफी संतुष्ट हैं। आगे भी शासन से इन्हें न्याय की पूरी उम्मीद है। उधर ब्राह्मण मतों पर नजर रखने वाले अन्य राजनीतिक दल चारों खाने चित नजर आ रहे बीते 26 जुलाई की शाम पुलिस को सूचना मिली थी कि एक मनबढ़ युवक राजन पांडेय उर्फ झनकू दोनों हाथों में हथियार लेकर लहरा रहा है। पुलिस टीम मौके पर पहुंची और मनबढ़ को पकड़ कल थाने ले आई।
इसके बाद झनकू पुलिस को चकमा दे कस्टडी से फरार हो गया। इसके बाद सादे वेश में पहुंचे दो सिपाही बेवजह फौजी परिवार से कहासुनी करने के साथ आरोपी को छुपाने का आरोप लगाने लगे। उस समय लोगों ने किसी तरह समझा-बुझाकर मामला शांत कराया। इसकी जानकारी नगसर थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष रमेश कुमार को हुई, तो उन्होंने फर्जी कहानी गढ़ बीते 28 जुलाई को फौजी परिवार के घर दबिश दी और नौ सदस्यों को उठा लिया। रातभर डंडे और बेल्ट से उनकी पिटाई करने के बाद चालान कर दिया गया। लेकिन न्यायालय ने सभी को जमानत दे दी।
इसके बाद पीड़ितों ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उनके शरीर के जख्म का वीडियो वायरल भी वायरल किया गया, जो प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ। इसके बाद एमएलसी विशाल सिंह चंचल से इस प्रकरण में सीएम आवास से पूछताछ की गई। उन्होंने मामले की जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय सहित अन्य अधिकारियों को दी थी। इस पर बीते एक अगस्त को अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी के निर्देश पर डीएम ओमप्रकाश आर्य गांव में पहुंचे और पीड़ित परिवार से मिलकर पुलिसिया बर्बरता की जानकारी लिया। इसके बाद तत्काल नगसर थानाध्यक्ष को लाइन हाजिर कर दिया गया। सीएम के निर्देश पर बीते दो अगस्त को जिले के प्रभारी मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला नूरपुर गांव पहुंचे और पीड़ितों से घंटों बंद कमरे में बात की। इधर कुछ दिन बाद पुनः पीड़ितों के हुए रि-मेडिकल में डाक्टरों द्वारा पुलिस के दवाब में आकर पीड़ितों के शरीर पर पड़े जख्म को चार से पांच दिन पुराना होना बताया था।
उसके बाद पीड़ित फौजी परिवार के लिए न्याय का एक ही रास्त मजिस्ट्रेटी जांच बचा था। उधर घटना के बाद विभिन्न राजनीतिक दल ब्राह्मण वोट को भुनाने के लिए पीड़ितों के घर पहुंचकर साहनभूति बटोरने में लगे हुए थे।
ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा तत्कालीन थानाध्यक्ष समेत पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित करने की कार्रवाई से जहां अब पीड़ित परिवार में एक बार फिर न्याय की आस जगी है,