एमएसएमई लोन को रीस्ट्रक्चर करने की मौजूदा योजना की समय सीमा 31 मार्च 2021 तक
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दोमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में गुरुवार को 25 करोड़ रुपए तक के डिफॉल्ट एमएसएमई लोन को रीस्ट्रक्चर करने की मौजूदा योजना की समय सीमा 3 महीने बढ़ाकर 31 मार्च 2021 तक कर दी। इस योजना के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के डिफॉल्ट घोषित हो चुके ऐसे लोन को रीस्ट्रक्चर किया जा सकेगा, जो 1 मार्च 2020 को स्टैंडर्ड लोन अकाउंट थे। पहले से जो योजना चल रही थी, उसके तहत उन्हीं लोन को रीस्ट्रक्चर किया जा सकता था, जो 1 जनवरी 2020 तक स्टैंडर्ड श्रेणी में थे।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोविड-19 का प्रकोप बना रहने से सामान्य कामकाज और नकदी प्रवाह में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। ऐसे में एमएसएमई क्षेत्र में दबाव और बढ़ा है और उसे सहारे की जरूरत है। शक्तिकांत दास ने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए यह तय किया गया है कि कामकाज में दबाव झेल रहे एमएसएमई कर्जदारों को मौजूदा व्यवस्था के दायरे में ही कर्ज के पुनर्गठन की पात्रता दी जाए।
रीस्ट्र्रक्चर किए जाने वाले लोन पर 5% अतिरिक्त प्रावधान करना होगा
आरबीआई ने हालांकि बैंकों से कहा है कि इन दिशानिर्देशों के तहत पुनर्गठित किए जाने वाले खातों के लिए पहले से जो प्रावधान किए गए हैं, उन्हें उसके ऊपर 5 फीसदी अतिरिक्त प्रावधान करना होगा। रिजर्व बैंक ने इस मामले में मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत दी गई कर्ज सीमा को बरकरार रखा है। इसलिए बैंकों और एनबीएफसी के गैर-कोष आधारित सुविधाओं सहित कुल कर्ज राशि एक मार्च 2020 को 25 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।
योजना का लाभ जीएसटी रजिस्टर्ड एमएसएमई को
योजना की अन्य शर्तों के तहत उन्हीं एमएसएमई के डिफॉल्ट लोन को रीस्ट्रक्चर किया जा सकेगा, जो लोन को रीस्ट्रक्चर किए जाने के दिन जीएसटी में रजिस्टर्ड होंगे। हालांकि यह शर्त ऐसे एमएसएमई पर लागू नहीं होगी, जिन्हें जीएसटी रजिस्ट्रेशन से छूट मिली हुई है। एमएसएमई क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह देश की जीडीपी में 28 फीसदी और निर्यात में 40 फीसदी से अधिक योगदान करता है। एमएसएमई करीब 11 करोड़ लोगों को रोजगार देता है।