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 प्रदेश में वाणिज्यिक (कामर्शियल) विद्युत का गरीब उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त भार   ,  30 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह का बढ़ाया

प्रदेश में वाणिज्यिक (कामर्शियल) विद्युत का गरीब उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त भार , 30 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह का बढ़ाया

प्रदेश में बिजली कंपनियों ने वाणिज्यिक (कामर्शियल) विद्युत उपभोक्ताओं के फिक्स्ड चार्ज में भी बदलाव प्रस्तावित कर दिया है। चार किलोवाट तक फिक्सड चार्ज का दर जो प्रति किलोवाट 330 रुयपे प्रति माह था उसे 360 रुपये प्रति माह प्रस्तावित किया गया है। इन उपभोक्ताओं पर प्रति किलोवाट 30 रुपये प्रतिमाह का अतिरिक्त भार पड़ेगा। 

इस प्रस्ताव के स्वीकृत होने पर चार किलोवाट तक फिक्स्ड चार्ज वाले कामर्शियल उपभोक्ताओं पर बिजली बिल का बोझ बढ़ जाएगा। बताया जाता है कि पावर कारपोरेशन ने नए स्लैब पर प्रस्तावित बिजली दर के लिए नियामक आयोग में दिए गए प्रस्ताव में यह संशोधन बाद में जोड़ा है। समाचार पत्रों में प्रस्तावित स्लैब और दर में अब इस श्रेणी का यही कारपोरेशन प्रकाशित कराएगा।

पावर कारपोरेशन ने नियामक आयोग को पत्र लिखकर कहा है उनके 4500 करोड़ के गैप की भरपाई पर आयोग स्वत: विचार करे। इसके पीछे मंशा यह है कि आयोग यदि इसकी भरपाई का कोई विकल्प देगा तो बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं पर इसका बोझ डाल सकेंगी। 

उपभोक्ता परिषद ने कहा कारपोरेशन कर रहा अधिनियम का उल्लंघन

उ.प्र. राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि पावर कारपोरेशन अधिनियम का उल्लंघन कर रहा है जो विज्ञापन समाचार पत्रों में प्रकाशित कराए जाएंगे उसमें स्लैब परिवर्तन का आधार 2019-20 दिखाया जाएगा। इसके लिए आयोग से अनुमति मांगी है। आरोप लगाया है कि स्लैब परिवर्तन के माध्यम से कारपोरेशन गरीब उपभोक्ताओं पर भार डालना चाहता है।