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केंचुआ उत्पादन व जैविक खेती से किसान ले सकते है मुनाफा
यह बात कृषि विश्वविद्यालय तथा एनआरएम विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित तथा मिशन एकीकृत औद्योगिक विकास योजना के तीस दिवसीय केंचुआ उत्पादक प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर कुलपति डा यूएस गौतम ने कही। उन्हांने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि वैज्ञानिक ढंग से केंचुआ खाद व केंचुआ उत्पादित करना समय की मांग है। जिसके लिए यह प्रशिक्षण बहुत लाभकारी होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए एमआईडीएच परियोजना के प्रधान अन्वेषण एवं कृषि प्रसार विभाग के विभागाध्यक्ष डा भानुप्रकाश मिश्रा तथा टीम को बधाई दी। कहा कि कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा बुंदेलखंड में जैविक कारीडोर कार्यक्रम की शुरूआत वर्ष 2019 से हुयी थी। जिसमें सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से जैविक खेती को बढावा देने हेतु तथा उससे रोजगार सृजन हेतु विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। इस कार्यक्रम से जहां केंचुआ उत्पादकों को बाजार प्राप्त होगा वहीं किसान अपने जैविक उत्पाद का अच्छा मूल्य भी प्राप्त करेगा। कार्यक्रम में परियोजना के प्रधान अन्वेषण एवं कृषि प्रसार विभाग के विभागाध्यक्ष डा भानु प्रकाश मिश्रा ने मिशन एकीकृत औद्योगिक विकास योजना, सुपारी व मसाला विकास निदेशालय कोचिकोड केरल द्वारा चलाये जा रहे परियोजना व विभिन्न कार्यक्रमों के विषय में जानकारी दी। बताया कि इसके अंतर्गत बुंदेलखंड मसाला वर्गीय फसलों धनिया, मिर्च, हल्दी, अदरक, मेथी तथा सुंगधित व औषधीय फसलों में तुलसी, लेमनग्रास, सिट्रोमेला फसल पर वैज्ञानिक जानकारी के साथ साथ प्रशिक्षण प्रदर्शन तथा विभिन्न प्रकाशन वितरित किये जा रहे है। कार्यक्रम के प्रशिक्षक डा अरविंद कुमार गुप्ता ने बताया कि 25 प्रशिक्षणार्थीतीस दिनों में प्रायोगिक एवं व्यवहारिक जानकारी प्राप्त करेंगे। उनकों केंचुआ खाद उत्पादन हेतु विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी जायेगी। कहा कि प्रशिक्षणार्थियों को व्यवसायिक रूप से अपनाने के लिए उनके गांव पर विश्वविद्यालय की ओर से एक इकाई की भी स्थापना की जायेगी। निदेशक बीज प्रक्षेत्र डा मुकुल कुमार ने कहा कि कम लागत में एवं कृषि अवशेषों में केंचुआ खाद बनाकर अतिरिक्त लाभ अर्जित किया जा सकता है। परियोजना के सह प्रधान अन्वेषण डा बीके गुप्ता ने कहा कि इसके लिए छोटे से स्थान में तथा कम लागत में घर के किसी भी सदस्य द्वारा केंचुआ खाद उत्पादन किया जा सकता है। मसालों की खेती से पारंपरिक खेती से हटकर अलग से लाभ लिया जा सकता है। इस दौरान प्रो एसवी द्विवेदी, डा संजीव कुमार, डा नरेंद्र सिंह, डा जगन्नाथ पाठक, डा आरके सिंह, डा देव कुमार, डा चंद्रकांत द्विवेदी, डा दिनेश गुप्ता, डा अमित मिश्रा, डा धीरज मिश्रा आदि ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।