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पितृ पक्ष अमावस्या के दिन करें विशेष श्राद्ध , घर में बरसेगा पितरों का आशीर्वाद

पितृ पक्ष अमावस्या के दिन करें विशेष श्राद्ध , घर में बरसेगा पितरों का आशीर्वाद

पितृपक्ष के 14वें दिन यानी पितृ विसर्जन अमावस्या के एक दिन पहले चतुर्दशी श्राद्ध (Chaturdashi shradh) मनाया जाता है. चतुर्दशी पर सिर्फ उन्हीं लोगों के श्राद्ध किए जाते हैं, जिनकी अकाल मृत्य हुई हो. जिन लोगों की स्वाभाविक मृत्यु (नैचुरल डेथ) होती है, इस दिन उनका श्राद्ध नहीं मनाया जाता है. 

महाभारत में भी कहा गया है कि चतुर्दशी तिथि पर उन्हीं का श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी मृत्यु असमय हुई है. इस बार चतुर्दशी श्राद्ध गुरुवार , 17 सितंबर को मनाया जा रहा है.जिन लोगों की मृत्यु किसी दुर्घटना में हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है. आमहत्या करने वाले लोग, जिनकी हत्या हुई हो या किसी हथियार से मरने वाले लोगों का श्राद्ध (Shradh 2020) भी चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है.

महाभारत (Mahabharat) में अनुशासन पर्व पर भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि जिन लोगों की मृत्यु अकाल हुई है यानी जिनकी मृत्यु स्वाभाविक तरीके से न हुई हो, उनका श्राद्ध पितृपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर ही करना चाहिए. ज्योतिषियों के अनुसार, स्वाभाविक मौत मरने वालों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करने से श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं.कूर्म पुराण में भी इस बात का जिक्र है कि चतुर्दशी पर स्वाभाविक रूप से मृत लोगों का श्राद्ध (Pitru paksha 2020) करना संतान के लिए शुभ नहीं होता है. साथ ही इस तिथि पर उनका श्राद्ध करने वाले व्‍यक्ति को आर्थिक दिक्कत या किसी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.


जिनकी मृत्यु तिथि आपको याद नहीं है, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि (Shradh visarjan amavasya 2020) पर करें. इस दिन परिवार के सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों के लिए विशेष श्राद्ध करना चाहिए. पितरों के नाम पर जरूरतमंदों को धन और अनाज का दान करें. साथ ही ब्राह्मणों को सात्विक भोजन अवश्य करवाएं, जिसमें खीर और पूरी का प्रसाद होना चाहिए.