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स्पेशल बजट से आकार ले रहा मॉडल ब्लॉक वाराणसी जनपद में विभागों में उपलब्ध धनराशि कम पड़ने पर नीति आयोग ने करायी पहल 22 अक्टूबर से राज्य सरकार के आदेशानुसार सभी महकमों ने अपने डिपॉर्टमेंट से जारी किया विशेष बजट विकास खंड के सभी अधूरे कार्यों को 15 नवंबर तक पूर्ण करने का दिया निर्देश ! In the Varanasi district, a model block that is taking shape from the special budget, the NITI Aayog took the initiative on 22nd October with the release of all the items from its department as per the order of the state government !

स्पेशल बजट से आकार ले रहा मॉडल ब्लॉक वाराणसी जनपद में विभागों में उपलब्ध धनराशि कम पड़ने पर नीति आयोग ने करायी पहल 22 अक्टूबर से राज्य सरकार के आदेशानुसार सभी महकमों ने अपने डिपॉर्टमेंट से जारी किया विशेष बजट विकास खंड के सभी अधूरे कार्यों को 15 नवंबर तक पूर्ण करने का दिया निर्देश ! In the Varanasi district, a model block that is taking shape from the special budget, the NITI Aayog took the initiative on 22nd October with the release of all the items from its department as per the order of the state government !

KESHARI NEWS24

वाराणसी। सेवापुरी को देश का पहला मॉडल ब्लॉक बनाने के लिए न सिर्फ स्थानीय स्तर पर महकमों के अफसरों को मशक्कत करनी पड़ी है बल्कि राज्य और केंद्र सरकार तक के पसीने छूट गये। कारण, जो कार्य पहले जनपद के विभागीय बजट से होना था, उसके लिए नीति आयोग की पहल पर शासन को विशेष बजट जारी करने के लिए बाध्य होना पड़ा।

हमें मिली कुछ जानकारी के मुताबिक नीति आयोग के निर्देश पर सेवापुरी विकास खंड को मॉडल ब्लॉक के तौर पर विकसित करने के उद्देश्य से आरंभ कार्यों में कई महकमों में बजट की कमी आड़े आ गयी। कुछ निर्माण कार्य ग्राम पंचायतों के माध्यम से कराया तो गया लेकिन ग्राम पंचायतों की भी अपनी सीमाएं हैं। जब ग्राम पंचायतों ने हाथ खड़े कर दिये तो संबंधित विभागों ने पैसे की कमी बतायी। बढ़ती मुश्किलें देखकर नीति आयोग को वस्तुस्थिति की जानकारी दी गयी। आयोग ने भारत सरकार को बताया। उसके बाद भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह चिंता व्यक्त की।

इस पहल के बाद प्रदेश शासन ने सेवापुरी विकास खंड को मॉडल ब्लॉक के रूप में विकसित करने के लिए उन विभागों को आवश्यक निर्देश दिये जिनके कार्य बजट के अभाव में बाधित हो रहे थे। अंतत रू महकमों ने धनराशि जारी करने के पूर्व निर्धारित नियमों में कुछ संशोधन कर सेवापुरी विकास खंड के लिए स्पेशल बजट का प्रवाधान किया। यह कदम उठाने के बाद मॉडल ब्लॉक के कार्यों में आ रही अड़चनें लगभग खत्म बतायी जा रही हैं। विशेष बजट रिलीज होने के बाद इस विकास खंड के लिए निर्धारित ‘की परफॉर्मेंस इंडिकेटर’ (केपीआई) में पिछड़े विभागों के अधिकारियों ने राहत की सांस ली है।






बीते 15 अक्टूबर को आयोग के सीईओ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये समीक्षा बैठक कर अगले नवंबर में आगमन की मंशा जताते हुए सभी अधूरे कार्य अधिकतम 15 नवंबर तक पूर्ण कराने के निर्देश दिये थे। शुरुआती दौर में किसी भी विकास खंड को मॉडल ब्लॉक के रूप में विकसित करने के लिए कुल मिलाकर तीन माह की अवधि तय की गयी थी लेकिन बढ़ती मुश्किलों और व्यावहारिक समस्याओं को देखते हुए आयोग ने कुछ कार्यों के लिए तीन माह के भीतर कार्य पूर्ण करने की बाध्यता समाप्त कर दी। उसके बावजूद पैसे की कमी होने पर विशेष बजट की व्यवस्था करनी पड़ी। हालांकि इस पूरे मामले में अफसर खुलकर कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत का आगामी दौरा नवंबर माह के प्रथम सप्ताह में प्रस्तावित है। अबकी वह भारत सरकार के उन विभागों के संयुक्त सचिवों को लेकर आएंगे जिन महकमों के कार्य सेवापुरी में कराए जा रहे हैं।

मॉडल ब्लॉक की सोच लेकर नीति आयोग एक प्रकार से रिसर्च कर रहा है। जिसके तहत यह आंकलन किया जा रहा है कि मॉडल ब्लॉक बनाने में किस प्रकार की और कैसी व्यावहारिक समस्याएं आ सकती हैं। इसके अलावा तय वक्त यानी 90 दिन के भीतर मॉडल ब्लॉक बनाने में शुरु से लेकर अंत तक किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जिले में उपलब्ध सभी संसाधनों का उपयोग किसी मॉडल ब्लाक में करने के दौरान किन दिक्कतों से रूबरू होना पड़ेगा। इस शोध के माध्यम से आयोग भविष्य में विभिन्न परियोजनाओं आदि को अमली जामा पहनाने के लिए प्रयुक्त कार्यशैली में बदलाव पर विचार कर सकता है।

मॉडल ब्लॉक में सुविधाएं

पीएमएवाई प्लस के तहत आवास, गांवों में इंटरनेट, वाईफाई और ब्रॉडबैंड सेवा, सौभाग्य योजना, सामुदायिक शौचालय, जल निकासी प्रबंध, एनआरएलएम, गांवों में एक-एक कूड़ा डंपिंग एरिया, जल संरक्षण, शुद्ध पेयजल, भूमिगत एवं खुला ड्रेनेज सिस्टम, सड़क-गली निर्माण, इंटरलॉकिंग, अपग्रेडेड खेती-बाड़ी, स्वच्छता, स्कूलों में शत-प्रतिशत पठन-पाठन-उपस्थिति, प्रत्येक बच्चे को विद्यालय भेजना, गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों के बेहतर देखभाल, अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं आदि।