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बिहार विधानसभा चुनाव के बीच भाजपा को असम व पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को लेकर सताई चिंता
भाजपा के लिए बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे अगले साल होने वाले असम व पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को लेकर बेहद अहम है। असम में भाजपा की अपनी सरकार है और पश्चिम बंगाल में हुए बड़े बदलाव की तैयारी में हैं। भाजपा के मौजूदा नेतृत्व का सबसे बड़ा मिशन पश्चिम बंगाल है जहां उसने बीते साल लोकसभा चुनाव में 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
बिहार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जेडीयू के साथ मिलकर व्यापक रणनीति तैयार की है, लेकिन लोजपा ने उसके समीकरणों को प्रभावित किया है। अंदरुनी तौर पर लोजपा का राजग से अलग होकर चुनाव लड़ना और जेडीयू के खिलाफ पूरी ताकत झोंकना भाजपा को लाभ पहुंचा सकता था, लेकिन भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार जो रिपोर्ट सामने आ रही है उसमें लोजपा से भाजपा को भी नुकसान हो सकता है।
चुनावी गणित में भाजपा का मददगार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आकलन भी महत्त्व रखता है। सूत्रों के अनुसार संघ से जो फीडबैक भाजपा नेतृत्व को मिला है उसमें कई जगह भाजपा के असंतुष्ट लोजपा को समर्थन कर रहे हैं। इससे गठबंधन की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं। खुद लोजपा बहुत ज्यादा सफलता हासिल कर पाए ऐसा भी नहीं दिख रहा है। इस फीडबैक में यह भी कहा गया है कि भाजपा नेताओं को अपने असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को साधने के लिए ज्यादा जोर लगाना होगा, ताकि मतदान के पहले स्थिति नियंत्रित हो सके।
भाजपा का असंतुष्ट कार्यकर्ता राजद के साथ नहीं जाना चाहता है, लेकिन वह भाजपा और जेडीयू के उम्मीदवारों से अपनी नाराजगी भी दिखाना चाहता है, ऐसे में उसके सामने लोजपा का विकल्प खुला हुआ है। सूत्रों के अनुसार, इसे देखते हुए भाजपा नेता अब जेडीयू के साथ ज्यादा समन्वय से काम करने में जुट गए हैं। संयुक्त सभाओं से लेकर मतदान प्रबंधन तक की रणनीति में पहले से ज्यादा समन्वय हो रहा है।तो बिगड़ जाएगी असम व बंगाल की रणनीति
भाजपा की चिंता यह भी है कि अगर बिहार में भाजपा सत्ता से बाहर होती है और राजद एवं कांग्रेस जैसे विरोधी दल सत्ता में आते हैं तो उसकी आने वाले चुनाव की रणनीति पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। खासकर असम और पश्चिम बंगाल जहां पर अगले साल चुनाव होने हैं। इन दोनों राज्यों में बिहार की राजनीति का भी काफी असर पड़ता है। एसे में विपक्ष को नई ताकत मिल सकती है और भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। भाजपा किसी भी तरह बिहार की सत्ता में अपनी हिस्सेदारी चाहती है जिससे कि असम और बंगाल के लिए उसकी रणनीति प्रभावित न हो।