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 भारत और अमेरिका के रिश्ते में आएगी मजबूती

भारत और अमेरिका के रिश्ते में आएगी मजबूती

भारत और अमेरिकाके बीच बेसिक एक्सचेंज एण्ड कोओपरेशन एग्रीमेन्ट (बेका) वार्तामें जो अनुबंध हुआ है, उसके तहत दोनों देशोंकी सेनाओंके मध्य अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, गोपनीय उपग्रहमूलक आंकड़ों और महत्वपूर्ण सूचनाओंका आदान-प्रदान किया जायगा। बेका समझौता होनेके बाद भारत अमेरिकाके सहयोगसे हिन्द प्रशान्त क्षेत्रके समुद्री क्षेत्रों सहित सम्पूर्ण दक्षिण एशियाकी प्रकट एवं गुप्त दोनों तरहकी भौगोलिक गतिविधियोंका अवलोकन कर सकेगा। इस आधारपर अपने लिए उपयोगी सामरिक-व्यापारिक कार्यनीतियोंका कार्यान्वयन कर सकेगा। दुनियाके दो बड़े राष्ट्रोंके मध्य हुआ बेका समझौता चीनके साथ भारतकी सीमांत तनातनीके क्रममें विचारणीय कूटनीतिक समझौता है।

 समयांतरालमें भारतको इसका सामरिक और कूटनीतिक लाभ अवश्य मिलेगा। नवीन बेका (बेसिक एक्सचेंज एंड कोओपरेशन एग्रीमेण्ट) समझौता सहित रक्षा-सुरक्षा और सूचना-संचारके क्षेत्रमें जो अन्य तीन समझौते अबतक दोनों राष्ट्रोंके मध्य सम्पन्न हुए हैं, उनमें सैन्य सूचना सामान्य सुरक्षा अनुबंध (जनरल सिक्योरिटी फॉर मिलिटरी इर्न्फोमेशन एग्रीमेण्ट) 2002 में हुआ था। रक्षा समझौता होनेके बाद रक्षा प्रौद्योगिकी साझा करनेसे सम्बन्धित महत्वपूर्ण कार्यनीतिके तहत अमेरिकाने 2016 में भारतको प्रमुख रक्षा सहयोगीकी पदवी थी। इसी परिप्रेक्ष्यमें दोनों राष्ट्रोंके मध्य अनुबंधमूलक सैन्य संचालन विनिमय पत्रक (लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेण्डम ऑफ एग्रीमेण्ट) समझौता हुआ। 2018 में दोनों राष्ट्रोंके मध्य संचार अनुकूलता एवं सुरक्षा व्यवस्था (द कम्यूनिकेशंस कम्पेटिबिलिटी एण्ड सिक्योरिटी अरेंजमेण्ट, कोमकासा) पर हस्ताक्षर हुए। इस प्रकार 2016 के उपरान्त मोदी और ट्रम्पने दक्षिण एशिया एवं हिन्द प्रशान्तमें भारतकी सम्प्रभुताके रक्षार्थ जो रक्षा एवं विदेश नीति अंगीकारकी थी, उसके कार्यान्वयनका रेखांकन बेका समझौताके उपरान्त स्पष्ट परिलक्षित होने लगेगा।

भारत-अमेरिकाके मध्य बेका समझौता ऐसे समयपर सम्पन्न हुआ है जब चीन हिन्द प्रशान्त, दक्षिण एशिया और विशेषकर भारतके सीमान्त क्षेत्रोंमेंसे एक पूर्वी लद्दाखमें अपनी अतिक्रामक सैन्य-व्यापारिक गतिविधियोंके साथ सक्रिय है। मंगलवारको दोनों राष्ट्रोंकी मन्त्रीस्तरीय उच्च स्तरकी बैठकमें हिन्द प्रशान्त क्षेत्रमें सुरक्षा सम्बन्ध और रणनीतिक सहयोगमें वृद्धि करनेका निर्णय भी किया गया है।

 भारत-अमेरिकी टू-प्लस-टू वार्ताके तीसरे चरणमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षामन्त्री राजनाथ सिंहने अमेरिकी विदेशीमन्त्री माइक पोम्पियो और रक्षामन्त्री मार्क एस्परके साथ विस्तृत चर्चा की। 

चर्चामें अमेरिकी पक्षकी ओरसे आश्वस्त किया गया कि अमेरिका भारतकी सम्प्रभुता और स्वतंत्रतापर उभरनेवाले हर संकटसे निबटनेमें उसके साथ है। इस अवसरपर राजनाथ सिंहने बेकाको महत्वपूर्ण समझौता बताते हुए कहा कि सेनासे सेनाके स्तरपर अमेरिकाके साथ हमारा सहयोग समुचित तरीकेसे आगे बढ़ रहा है। उनके अनुसार अमेरिकाके साथ चर्चामें रक्षा उपकरणोंके संयुक्त विकासके लिए परियोजनाओंको चिह्नित किया गया है। 

एस. जयशंकरने भी दोनों देशोंके सम्बन्धोंमें बढ़ रही निकटता और तालमेलको लाभदायी बताया।
इससे पूर्व सोमवारको टू-प्लस-टू वार्ताकी प्रक्रियामें दोनों राष्ट्रोंके विदेश और रक्षामन्त्रियोंके मध्य अनुबंधोंकी आवश्यकताओंके संदर्भमें उभरी वैश्विक एवं दक्षिण एशियाकी भौगोलिक-सामरिक स्थितियोंपर व्यापक चर्चा हुई। अक्तूबरके पहले हफ्तेमें जापानी राजधानी टोक्योमें सम्पन्न हुई क्वॉड राष्ट्रोंकी बैठकमें जिन प्रमुख कार्यकारी बिंदुओंपर चर्चा हुई थी, उनमेंसे भारत-अमेरिकाके बीच प्रस्तावित चारमेंसे अन्तिम बीका अनुबंधपर दोनों राष्ट्रोंका हस्ताक्षर करना और आस्ट्रेलियाका क्वॉड कार्यनीतिके अन्तर्गत मालाबार सैन्याभ्यासमें सम्मिलित होना भी सम्मिलित था। यह दोनों कार्य भारत-अमेरिकाकी इस प्लस-टू-प्लस वार्ताकी समयावधिमें सम्पन्न हो चुके हैं। इस सन्दर्भमें अमेरिकी रक्षामन्त्रीने बंगालकी खाड़ीमें होनेवाले मालाबार सैन्याभ्यासमें अमेरिका, भारत एवं जापानके साथ आस्ट्रेलियाके सम्मिलित होनेका स्वागत किया है। 

इस प्लस-टू-प्लस वार्ताके अन्तिम निर्णयोंसे पूर्व दोनों पक्षोंने रक्षा अनुबन्धों, सैन्य सहयोग, सुरक्षित संचार प्रणाली और सूचना साझीदारी एवं रक्षा व्यापारकी समीक्षा की। इससे अलग रक्षामन्त्रियोंके बीच सम्पन्न वार्तामें दोनों राष्ट्रोंके मध्य सैन्य सहयोग बढ़ानेके लिए पहले ही गठित सैन्य सहयोग समूह (एमसीजी) की संस्तुतियोंके अनुसार कार्य करने और दोनों देशोंमें समूहसे सम्बन्धित अधिकारियोंकी नियुक्तिपर सहमति बनी। रक्षामन्त्रियोंकी वार्तामें आयुध निर्माणके क्षेत्रमें सहयोगपर चर्चा हुई थी।

भारत-अमेरिकाके मध्य हुए बेका समझौते और इस अवसरपर माइक पोम्पियोकी चीनकी कम्युनिस्ट पार्टीपर की गयी टिप्पणी चीन बौखला गया। पोम्पियोने राष्ट्रीय समर स्मारकमें शहीद भारतीय जवानोंको श्रद्धांजलि देते हुए गलवान संघर्षका उल्लेख किया और चीनकी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टीकी आलोचना की। इसपर चीनके विदेश मन्त्रालयके प्रवक्ता वांग वेनबिनने कहा कि उनके विरुद्ध पोम्पियोंके आरोप नये नहीं हैं। वांगने कहा कि पोम्पियो शीत युद्ध न भड़कायें और उनके दक्षिण एशियायी सहयोगियोंके बीच शत्रुताका बीजारोपण न करें।

कोरोना महामारी से अस्थिर हुआ विश्व जहां अनेक तात्कालिक बहुआयामी जीवन-हानियोंसे ग्रस्त हुआ, वहीं विगत आठ माहमें महामारी और चीनके साथ उभरे अबतकके सर्वाधिक गंभीर विवादके उपरान्त भारतको अमेरिकाके साथ विलंबित कूटनीतिक सहयोगपर पुनर्विचार कर इसे त्वरित कार्यान्वित करने हेतु आत्ममंथनका अवसर मिला। प्लस-टू-प्लस वार्ताका तीसरा चरण इसकी परिणति है। हालांकि अभी ३ नवंबरको अमेरिकामें आम चुनाव होने हैं और इसके बाद नवगठित शासनकी दशा-दिशाका आकलन भी करना है। प्लस-टू-प्लस वार्ताके तहत प्रस्तावित समस्त चार समझौतोंपर हस्ताक्षर ट्रम्पके राष्ट्रपति रहते हुए सम्पन्न हुए हैं। 

भारतमें मोदी शासनकी रक्षा-सुरक्षा नीतियोंको अमेरिकी स्तरपर जो भी सहायता, सहयोग और उपयोगी कार्यान्वयनमें प्रवृत्त होनेके जो भी कूटनीतिक-रणनीतिक अवसर प्राप्त हुए हैं, वह मोदी-ट्रम्पके व्यक्तिगत सम्बन्धोंके कारण अधिक हुए।

अत: भारत-अमेरिकाके मध्य रक्षा सहयोग भविष्यमें भी सशक्त, सुदृढ़ और उपयोगी बना रहे इस उद्देश्य हेतु २०२० के आम चुनावमें ट्रम्पकी रिपब्लिकन पार्टीकी सत्तामें वापसी महत्वपूर्ण है। यदि अमेरिकी चुनावमें डेमोक्रेट विजयी होते हैं तो निश्चित रूपमें अमेरिकाकी भारत एवं दक्षिण एशियासे सम्बन्धित कूटनीति, रणनीति, विदेशनीति और कार्यनीतिमें परिवर्तन आयेगा, 

जो अवश्य ही वर्तमानकी तरह न होकर भारतीय हितोंके विपरीत हो सकती हैं। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि अमेरिकी डेमोक्रेटका झुकाव चीनकी ओर है। 

भारत और अमेरिकाके मध्य हुए बेका सहित अन्य तीन रक्षा, सुरक्षा, संचार एवं सूचनापर आधारित समझौतोंके सटीक क्रियान्वयन हेतु भी दोनों राष्ट्रोंको सदैव जागरूक एवं सक्रिय रहना होगा। यदि आगामी चुनाव परिणामोंके बाद अमेरिकामें सत्तारूढ़ होनेवाला दल रिपब्लिकन नहीं होगा तो भी उक्त समझौतोंकी गम्भीरताके प्रति भारतको नव-अमेरिकी शासनको अवगत कराते रहना होगा। 

अभी तो विश्वकी दृष्टि अमेरिकी चुनाव और चुनाव परिणामोंपर लगी हैं। भारत-अमेरिकाने बेका सहित जो चार अनुबंध हस्ताक्षरित किये हैं, उनकी अपेक्षित सफलता निश्चित रूपमें इसपर निर्भर होगी कि ट्रम्प सत्तामें वापसी करें।

( संपादकीय लेख ए . के . केशरी की कलम से )