Home › UP news UP news मेरठ : सरकारी बोर्ड को उखाड़कर जाति विशेष स्लोगन लिखने के मामले ने पकड़ा तूल , लखनऊ तक पहुंची बात व अफसर भी आए एक्शन में शनिवार, अक्टूबर 24, 2020 KESHARI NEWS24 A+ A- मेरठ में हस्तिनापुर क्षेत्र के बस्तौरा नारंग गांव में सरकारी बोर्ड को उखाड़कर उस पर जाति विशेष का स्लोगन लिखने के मामले ने शुक्रवार को तूल पकड़ लिया है। लखनऊ तक गूंज होने पर अधिकारी हरकत में आ गए। हस्तिनापुर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए बोर्ड पर लिखी जाति विशेष से जुड़ी बातें पुतवा दीं। शनिवार को फिर से बोर्ड पर गांव का नाम लिखा जाएगा।एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि गांव के सभी वर्गों के लोगों ने संयुक्त रूप से एक तहरीर दी है। इसमें लिखा है कि कुछ अज्ञात युवक गांव का माहौल खराब करना चाहते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि गांव के सभी वर्गों के लोग इस प्रकरण में कार्रवाई चाहते हैं। ग्राम प्रधान पति राजपाल सिंह ने हस्तिनापुर थाने में अज्ञात युवक के विरुद्ध माहौल बिगाड़ने का प्रयास करने का मुकदमा दर्ज करा दिया है। एसएसपी ने बताया कि जिन लोगों ने बोर्ड की पुताई की है, पुलिस उनकी तलाश कर रही है। गांव में पूरी तरह शांति है। सब लोग मिल-जुलकर रह रहे हैं। वे भी चाहते हैं कि ऐसा करने वाला जो भी शख्स हो, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। एसएसपी ने बताया कि फिलहाल बोर्ड पर जो जाति विशेष से जुड़ी बातें लिखी थी, उन्हें पुतवा दिया गया है।हस्तिनापुर इलाके के बस्तोरा नारंग गांव में बुधवार को कुछ लोगों ने सरकार साइन बोर्ड को हटा कर वहां 'ठाकुर ग्राम' का साइनबोर्ड लगा दिया। महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान की तस्वीरों के साथ 'ठाकुर ग्राम' लिखा साइनबोर्ड देखकर गांव के अनुसूचित जाति और कश्यप जाति के लोगों के साथ ही मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसकी शिकायत हस्तिनापुर थाने में की। उन्होंने आरोप लगाया कि गांव के ठाकुर लोगों को उकसा रहे हैं और यहां पर जातीय तनाव भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।सहमति के बाद भी ठाकुर और राजपूताना शब्द छोड़ेमामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हस्तिनापुर के थाना प्रभारी अशोक कुमार ने गांव का दौरा किया। उन्होंने इस मुद्दे को बातचीत से हल करने की कोशिश की। ग्रामीणों के साथ बैठक की। कुमार ने दावा किया कि मुद्दे के हल के बाद दोनों पक्षों के सदस्यों ने लिखित रूप में इस बात पर सहमति जताई कि बोर्ड पर 'बस्तोरा नारंग गांव आपका स्वागत करता है' लिखा जाएगा। हालांकि ग्रामीणों ने कहा कि ठाकुरों ने बोर्ड से सबकुछ हटाकर स्वागत वाली बात लिखने के बाद 'ठाकुर' और 'राजपूताना' शब्द को छोड़ दिया था।करीब 8000 आबादी वाले इस गांव में ठाकुर ज्यादा हैं। इस गांव में अनुसूचित जाति, मुस्लिम, कश्यप, सिख और अन्य समुदाय के लोग भी रहते हैं। इस मामले पर ग्राम सभा सदस्य इंद्रमणि जयंत ने कहा कि हम शांति और भाईचारे के बीच पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। सभी में भाइचारा है। अब कुछ कुख्यात किस्म के लोग जातीय विवाद को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। Share On Facebook Share On twitter