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काशी में देव दीपावली पर खास संयोग साल 2020 का आखिरी उपच्छाया चंद्रग्रहण कल ।
KESHARI NEWS24
वाराणसी। इस बार अधिमास के बाद कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर यानी सोमवार को है। इस दिन उपच्छाया चंद्र ग्रहण लग रहा है। इसमें चन्द्रमा का कोई भाग अदृश्य नहीं होता अपितु कुछ भाग गधुंधला दिखाई देता है। यानी इसका कोई सूतक काल या धार्मिक महत्व नहीं होगा। वैसे भी भारत के लिए तो यह उप छाया ग्रहण भी नहीं दिखेगा क्योंकि इस ग्रहण काल में यहां दिन मेंं रहेगा। ज्योतिष के नजरिए से यह ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है। इस इसका इस भूमण्डल या जनजीवन पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा। रविवार दोपहर 12.33 बजे से पूर्णिमा शुरू हो चुकी है जो सोमवार की दोपहर 2.26 बजे तक रहेगा। हालांकि, पूजन का विधान पूरे दिन है और शाम देवों के नाम दीप जलाना बहुत शुभ होगा।
प्रसिद्ध ज्योतिष एवं संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, बीएचयू के प्रो. विनय कुमार पांडेय ने जागरण को बताया कि उत्तरी, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर, आस्ट्रेलिया और एशिया महाद्वीप के पूर्वी भाग में इस उप छाया चंद्रग्रहण को देखा जा सकेगा। समय भारतीय समयानुसार दोपहर करीब 1:04 बजे से शाम 5:22 तक यह स्थिति बनी रहेगी। हमारे सौरमंडल में विद्यमान असंख्य ग्रह नक्षत्र आदि पिंडो के परस्पर संबंध द्वारा प्रतिक्षण अनेक खगोलीय घटनाएं घटती रहतीं हैं परंतु भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हम उन्हीं आकाशीय घटनाओं का विचार करते हैं, जिनका इस भूमंडल या मानव जीवन के ऊपर कुछ विशिष्ट प्रभाव पड़ता है।
उसका कुछ धार्मिक महत्व होता है, परंतु सामान्य रूप में घटने वाली आकाशीय घटनाओं का विश्लेषण ज्योतिष शास्त्र के अंतर्गत नहीं किया जाता 30 नवंबर 2020 को लगने वाले उप छाया ग्रहण को भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण नहीं माना जाता। कारण कि इस खगोलीय घटना में चंद्रमा पृथ्वी की छाया की छाया अर्थात प्रतिभा से ढकती है। जिससे चंद्रमा पूर्ण रूप से अदृश्य नहीं होता अपितु कुछ धुंधला दिखाई देने लगता है। परंतु चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी की छाया के अंतर्गत आता है जिससे वह खंड या पूर्ण रूप में नहीं दिखाई देता। प्रति छाया के ग्रहण को भारतीय ज्योतिषशास्त्र के आचार्यों ने ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा है क्योंकि इसका कोई फल नहीं होता है।