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सुप्रीम कोर्ट का शिक्षामित्रों को झटका, कोर्ट ने याचिका ख़ारिज कर यूपी में 37339 शिक्षकों की भर्ती का रास्ता किया साफ
नई दिल्ली। यूपी में 69,000 सहायक भर्ती परीक्षा में शिक्षामित्रों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट दाखिल की गई याचिका को लेकर बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की याचिका खारिज कर दी है। इस पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने बढ़े हुए कट ऑफ को अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के मौजूदा कट ऑफ (60/65) को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 37339 पदों पर शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया। 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 सितंबर को 31661 पदों को एक हफ्ते में भरने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के हलफनामे को रिकॉर्ड पर लिया, जिसमें कहा गया था कि नए कट ऑफ की वजह से नौकरी से वंचित रह गए शिक्षामित्रों को अगले साल एक और मौका दिया जाएगा।
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 6 मार्च को यूपी सरकार के फैसले को सही मानते हुए भर्ती प्रक्रिया को तीन महीने के अंदर पूरा करने का आदेश दिया था। लेकिन कट ऑफ मार्क्स को लेकर शिक्षामित्रों ने विरोध किया। छात्रों के एक गुट का कहना था कि सरकार का परीक्षा के बाद कट ऑफ निर्धारित करना गलत है। शिक्षामित्रों ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
उनकी दलील है कि असिस्टेंट टीचर की भर्ती परीक्षा में सामान्य वर्ग के लिए कटऑफ 45 फीसदी और रिजर्व कैटगरी के लिए 40 फीसदी रखा गया था. लेकिन पेपर के बीच में उसे बढ़ा दिया गया और उसे 65-60 फीसदी कर दिया गया। ये गैर कानूनी कदम है क्योंकि पेपर के बीच में कटऑफ नहीं बढ़ाया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस ललित ने पूछा कि क्या 40/45 कटऑफ को पार करने वाले सभी 40 हजार शिक्षामित्र और बाकी बचे 29 हजार पदों पर दूसरे कैंडिडेट सलेक्ट होंगे। इस पर एजीएस ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि योग्यता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। हमारे पास 50 हजार पद हैं और प्रति वर्ष 10,000 लोग रिटायर हो रहे हैं। हम अलग से भर्ती में मौका देने को तैयार हैं लेकिन योग्यता के साथ। बताया कि राज्य में 3 लाख 94,000 कुल अभ्यर्थियों की संख्या 40-45 प्रतिशत पर है जो कुल आंकड़ो का 96.2 प्रतिशत है। अभ्यर्थियों की संख्या में बढ़ोतरी के बाद कटऑफ बढ़ना स्वभाविक है।