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यूपी : कोरोना वायरस लगातार बढ़ा रहीं डॉक्टरों की चिंता , 40 फीसदी कोरोना विजेताओं में नहीं बन रहा एंटीबॉडी

यूपी : कोरोना वायरस लगातार बढ़ा रहीं डॉक्टरों की चिंता , 40 फीसदी कोरोना विजेताओं में नहीं बन रहा एंटीबॉडी

लखनऊ । कोरोना वायरस लगातार डॉक्टरों की चिंता बढ़ा रहा है। कोरोना को हरा चुके लोगों में एंटीबॉडी के गायब होने का प्रतिशत बढ़ गया है। अभी तक 30 फीसदी कोरोना विजेताओं में एंटीबॉडी नहीं बन रही थी। यह प्रतिशत बढ़कर 40 पहुंच गया है। गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी की जा रही है। लोहिया, केजीएमयू और पीजीआई कोरोना विजेता से प्लाज्मा निकालने के लिए अधिकृत हैं। कोरोना विजेता से लिया प्लाज्मा गंभीर मरीजों को चढ़ाया जाता है ताकि मरीज में कोरोना एंटीबॉडी तैयार हो सके।

केजीएमयू के ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चन्द्रा के मुताबिक पहले जांच में 30 प्रतिशत कोरोना विजेताओं में एंटीबॉडी गायब मिल रही थी। अब करीब 40 प्रतिशत लोगों में कोरोना की एंटीबॉडी नहीं मिल रही हैं। ऐसा क्यों हो रहा है इसका पुख्ता कारण अभी पता नहीं चल पा रहा है? 300 कोरोना विजेता प्लाज्मा दान कर चुके हैं। 125 से ज्यादा कोरोना विजताओं की जांच में एंटीबॉडी गायब मिली।

पीजीआई ब्लड बैंक के डॉ. अनुपम वर्मा के मुताबिक बिना लक्षण वालों में कम या फिर नहीं एंटीबॉडी बनने की आशंका है। जिन मरीजों को बुखार संग सांस लेने में दिक्कत हुई उनमें एंटीबॉडी बनने की संभावना बढ़ जाती है। वह बताते हैं कि अब तक 50 से ज्यादा लोग प्लाज्मा डोनेशन कर चुके हैं। आईसीयू और वेंटिलेटर पर भर्ती 70 से 80 प्रतिशत मरीजों में एंटीबॉडी बनती है।निगेटिव रिपोर्ट के 14 दिन बाद प्लाज्मा दान
लोहिया संस्थान के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. वीके शर्मा के मुताबिक रिपोर्ट निगेटिव आने के 14 दिन बाद कोई भी कोरोना विजेता प्लाज्मा दान कर सकता है।