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एशिया सर्वे के मुताबिक़ रिश्वतखोरी मामले में भारत का यह विभाग बना नंबर-वन , जाने अन्य सरकारी दफ्तरों का हाल
नई दिल्ली। रिश्वतखोरी के मामले में एशिया में भारतीय अव्वल हैं। खासतौर पर सरकारी दफ्तरों में काम कराने के लिए ये नंबर-वन हैं। भ्रष्टाचार पर काम करने वाले ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने सर्वेक्षण के बाद यह जानकारी दी है। एशिया प्रशांत क्षेत्र में रिश्वत के मामले में भारत शीर्ष पर है, जबकि जापान सबसे कम भ्रष्ट है। इस रिपोर्ट के मुताबिक एशिया के अन्य देशों में कंबोडिया दूसरे और इंडोनेशिया तीसरे नंबर पर है। इस रिपोर्ट के मुताबिक एशिया में हर पांच में से एक ने रिश्वत दी है। हालांकि, सर्वे में शामिल 62 फीसदी लोग मानते हैं कि भविष्य में हालात सुधरेंगे।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 39 फीसदी भारतीय मानते हैं कि उन्होंने अपना काम कराने के लिए रिश्वत का सहारा लिया। कंबोडिया में ये दर 37 फीसदी और इंडोनेशिया में ये 30 फीसदी है। साल 2019 में भ्रष्टाचार के मामले में भारत दुनिया के 198 देशों में 80वीं पायदान पर था। इस संस्था ने उसको 100 में से 41 नंबर दिए थे। वहीं, चीन 80वें, म्यांमार 130वें, पाकिस्तान 120वें, नेपाल 113वें, भूटान 25वें, बांग्लादेश 146वें और श्रीलंका 93वें नंबर पर रहा।
रिपोर्ट के मुताबिक, देश के ज्यादातर लोगों का मानना है कि पुलिस और स्थानीय अफसर रिश्वत लेने के मामले में सबसे आगे हैं। ये करीब 46 फीसदी है। इसके बाद देश के सांसद आते हैं जिनके बारे में 42 फीसदी लोगों ने ऐसी राय रखी है। वहीं, 41 प्रतिशत लोग मानते हैं कि रिश्वतखोरी के मामले में सरकारी कर्मचारी और कोर्ट में बैठे 20 फीसदी जज भ्रष्ट हैं।
एशिया के सबसे ईमानदार देशों की बात करें तो इसमें मालदीव और जापान संयुक्त रूप से पहले नंबर पर हैं। यहां पर महज 2 फीसदी लोगों ने ही माना कि उन्हें कभी किसी काम के लिए रिश्वत देनी पड़ी। इसके बाद दक्षिण कोरिया का नंबर आता है, जहां पर करीब 10 फीसदी लोगों का मानना है कि उन्हें काम निकलवाने के लिए घूस देनी पड़ी है। हांगकांग और ऑस्ट्रेलिया में घूसखोरी के मामले कम हैं। पाकिस्तान में सिर्फ 40% लोगों ने रिश्वत देने की बात मानी है।
देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को अलग-अलग कैटेगिरी में रखा गया है। जैसे 89 फीसदी भारतीय सरकारी भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है। इसके बाद 39 फीसदी रिश्वतखोरी को बड़ी समस्या मानते हैं, जबकि 46 फीसदी किसी भी चीज के लिए सिफारिश किए जाने को समस्या मानते हैं। वहीं, 18 फीसदी भारतीय ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि वोट के लिए नोट एक बड़ी समस्या है। 11 फीसदी ने माना कि काम निकलवाने के लिए होने वाला शारीरिक शोषण एक बड़ी समस्या है।