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मध्य प्रदेश जंगल से पहले बाड़े में रहेंगे बाघ तैयार होकर जंगल में बनाएंगे ठिकाना बाड़े में रखकर बाघों को सिखाएंगे जंगल का कानून फिर खुले जंगल में करेंगे आजाद ।
KESHARI NEWS24
मध्य प्रदेश। इटारसी के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना परिक्षेत्र में बाघों को जंगल का कानून और शिकार के तरीके सिखाने के लिए बाड़े में रखा जाएगा। केन्द्र सरकार की वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण कैंपा में यहां बाघों के अलावा चीतल के लिए भी बाड़े बनाए जा रहे हैं। बाड़े में भले ही बाघ कैद रहेंगे, लेकिन उन्हें जंगल की तरह खुला परिवेश और प्राकृतिक वातावरण दिया जाएगा। यहां जंगल में रहने के लिए बाघों को तैयार किया जाएगा। ऐसे बाघों को जंगल में सीधे खुला छोड़ने से पहले निगरानी में रखा जाएगा। हार्ड रिलीज इंक्लोजर के स्थान पर एसटीआर प्रबंधन सॉफ्ट रिलीज इंक्लोजर पेटर्न के तहत बाड़े बना रहा है। बाड़ा इसलिए बनाया जा रहा है जिससे वन्य जीव जंगल में रहने के अभ्यस्त होकर प्राकृतिक परिवेश में आसानी से ढल सकें। यहां रहकर बाघ अपनी टेरेटरी के अनुकूल व्यवहार सीखकर पलायन नहीं करेंगे।
बाड़े में आदमखोर बाघिन के कारण अलग हुए, बिना मां के शावकों एवं विस्थापित किए गए बाघों को व्यस्क होने तक बाड़े में रखा जाएगा। यहां जंगल की तरह गुफा, घूमने-फिरने की जगह और प्राकृतिक परिवेश होगा। कैंपा से मिले करीब सवा करोड़ रुपए के बजट से यहां 5-5 एकड़ के बाघ और चीतल बाड़े भी बनाए जाएंगे। चीतल बाड़े में सांभर, चीतल एवं भेड़की जैसे शाकाहारी जीवों को भी रखेंगे। अभी चूरना में एक हेक्टेयर का बाड़ा है, लेकिन जगह कम होने के कारण बाघों को विचरण के लिए जगह कम पड़ती थी। बाघ प्राधिकरण की गाइडलाइन के मुताबिक बाघों को निगरानी में रखने के दौरान भी पर्याप्त जगह और उनका प्राकृतिक परिवेश मुहैया कराना जरूरी है।
कुछ दिन आहार देने के बाद बाघों को शिकार करना सिखाने के लिए बाड़े में सांभर, चीतल या भेड़की छोड़ी जाएगी, इन्हें खुद मारकर बाघ अपने आहार का इतंजाम करना सीखेगा। बाघ जब जंगल में रहने के लिए पूरी तरह अभ्यस्त हो जाएगा, उसे बाड़े से खुले जंगल में आजाद कर दिया जाएगा। कई बार आदमखोर बाघिन के शावकों को उनकी मां से अलग करना पड़ता है, कई शाावक अनाथ हो जाते हैं या वर्चस्व की लड़ाई होने पर उनकी टेरेट्ररी बदलकर अलग रखना पड़ता है। 2200 वर्गकिमी. में फैले सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघ, तेंदुआ, भालू समेत कई विलुप्त प्राय प्रजाति के वन्य जीव हैं। एसटीआर बनने के बाद यहां तेजी से बाघों का कुनबा बढ़ रहा है।
चूरना में अभी एक हेक्टेयर का बाड़ा है। विस्थापित, अनाथ या बिछड़े बाघों के शावकों को को सीधे जंगल में छोड़ने से उनके शिकार या भटकने की आशंका रहती है। इसी वजह से 5-5 हेक्टेयर के बाघ और चीतल बाड़े का निर्माण हो रहा है। कैंपा प्रोजेक्ट के तहत बाघ संरक्षण की दिशा में यह काम हो रहा है। यहां पूरी तरह जंगल की तरह परिवेश रहेगा। बाड़े में शिकार छोड़कर बाघों को शिकार के तरीके भी सिखाए जाएंगे।