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किसान दिवस : जिंक और आयरनयुक्त गेहूं की खेती से भर रही किसानों की झोली
चंदौली।चकिया क्षेत्र के सोता गांव के किसान रामकृष्ण पाठक लीक से हटकर जिंंक व आयरनयुक्त रोगरोधी गेहूं की खेती कर रहे हैं। खुद के साथ ही अन्य किसानों को भी आधुनिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया। अच्छा मुनाफा और अन्न की पौष्टिकता को देखते हुए आसपास के 12 गांवों के 100 से अधिक किसान इस प्रजाति की खेती से जुड़े।
रामकृष्ण पाठक शुरू से ही अलग तरह की खेती में करने को प्रयारसरत रहते हैं। बीएचयू के कृषि विज्ञानियों का साथ मिला तो उम्मीदें परवान चढऩे लगीं। बताया गेहूं पर शोध करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था सिमिट की ओर से संचालित हार्वेस्ट प्लस प्रोजेक्ट में पांच साल पहले सहभागी बने थे। अपने खेत में प्रदर्शन के तौर पर छोटी-छोटी क्यारियों में विभिन्न प्रजातियों की खेती की शुरूआत की थी।
रामकृष्ण पाठक के अनुसार बीएचयू-35, बीएचयू-25, पीबीडब्ल्यू जेडएन-01, डब्ल्यूबी-02 समेत अन्य प्रजातियों की खेती हो रही है। इसमें पीबीडब्ल्यू जेडएन 01 व डब्ल्यूबी 02 प्रजाति के बीज की मान्यता मिल चुकी हैं। गेहूं व आटा की डिमांड अब गैर प्रांत व विदेशों में भी होने लगी है। फसल में ब्लास्ट (झुलसा) आदि रोगों का असर भी नहीं होता है।
सोता गांव में लगभग 30 हेक्टेयर, मसोई के अभिषेक व राजन पांडेय ने 25, तियरा के अरङ्क्षवद पांडेय ने पांच, लटांव के लक्ष्मण उपाध्याय ने 20 हेक्टेयर में उक्त प्रजातियों की खेती की है। घटमापुर, कटरियां डोड़ापुर आदि गांवों को मिलाकर 100 से अधिक किसानों ने 600 हेक्टेयर में गेहूं की खेती कर रहे हैं।
चंदौली के किसान गेहूं की जिंक और आरयनयुक्त प्रजातियों की खेती कर रहे हैं। इसका रकबा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। खेती से किसानों को आर्थिक लाभ के साथ स्वास्थ्य लाभ भी मिल रहा है। फसल का निरीक्षण कर प्रगतिशील किसानों को समय-समय पर सलाह दी जाती है। -डा. वीके मिश्रा, प्रोफेसर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान संस्थान।