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जलवायु सम्मेलन में पीएम मोदी बोले- पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा भारत
पीएम मोदी ( सौ. - ANI )
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को पेरिस समझौते के पांच साल पूरे होने के मौके पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से आयोजित किए गए वैश्विक जलवायु सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत न केवल पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने के ट्रैक पर है वरन उम्मीदों से आगे बढ़कर उन पर काम भी कर रहा है। भारत ने साल 2005 के मुकाबले अपनी कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को 21 फीसद तक कम किया है।
उपलब्धियों की समीक्षा भी जरूरी
प्रधानमंत्री ने अपने डिजिटल संबोधन में कहा कि पेरिस समझौते की पांचवीं वर्षगांठ पर आयोजित सम्मेलन क्लाइमेट चेंज के खिलाफ लड़ाई में सबसे महत्वाकांक्षी कदम है। आज हम भविष्य की ओर देख रहे हैं लेकिन हमें अतीत की ओर से नजरें नहीं हटानी चाहिए। हमें न केवल अपनी महत्वाकांक्षाओं को संशोधित करना चाहिए वरन पहले से ही निर्धारित लक्ष्यों के संबंध में अपनी उपलब्धियों की समीक्षा भी जरूर करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साल 2047 में भारत एक आधुनिक, स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपने 100 साल मनाएगा। इस ग्रह पर के मेरे सभी निवासियों के लिए मैं आज एक संकल्प लेता हूं। सौ साल का भारत न केवल अपने लक्ष्यों को पूरा करेगा वरन आपकी अपेक्षाओं से भी आगे बढ़ेगा। भारत अपने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यह इस दिशा में उम्मीद से ज्यादा आगे बढ़ेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि हमें न केवल अपनी महत्वाकांक्षाओं को संशोधित करना चाहिए वरन निर्धारित लक्ष्यों पर अपनी उपलब्धियों की समीक्षा भी करनी चाहिए। मौजूदा वक्त में हमारी सौर ऊर्जा क्षमता 2014 में 2.63 गीगा वाट से बढ़कर अब 2020 में 36 गीगा वाट हो गई है। हमारी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विश्व में चौथे नंबर पर है। यह साल 2022 से पहले 175 गीगा वॉट हो जाएगी।
उधर, जलवायु शिखर सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने विश्व के नेताओं से धरती के बढ़ते तापमान को रोकने के लिए उपायों को अमल में लाने के लिए जलवायु आपातकाल की घोषणा करने की गुजारिश की। इस एकदिवसीय वर्चुअल बैठक को दुनिया के कई नेताओं ने संबोधित किया। गुतेरस ने कहा कि इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है कि हम एक गंभीर आपात हालात का सामना कर रहे हैं।पेरिस समझौते के पांच साल पूरे होने के मौके पर आयोजित इस सम्मेलन का मकसद पृथ्वी का तापमान बढ़ाने वाली ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कटौती करने के लिए देशों को प्रेरित करना है। दुनिया में ग्रीन हाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक चीन है जो 30 फीसद ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करता है। अमेरिका को ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को 2025 तक 26-28 फीसद तक कम करना था लेकिन अपने आर्थिक हितों को तरजीह देते हुए वह समझौते से अलग हो गया था।
पिछले महीने जी-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अलग-थलग होकर लड़ाई लड़ने के बजाय एकजुटता के साथ, व्यापक और समग्र सोच को अपनाया जाना चाहिए। भारत पेरिस समझौते के अपने लक्ष्य को हासिल कर रहा है। भारत ने पर्यावरण के अनुरूप रहने की अपनी परंपरा और सरकार की प्रतिबद्धता के चलते कम कार्बन उत्सर्जन की प्रक्रिया को अपनाया है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कल शुक्रवार को कहा था कि जलवायु परिवर्तन की समस्या के लिए भारत जिम्मेदार नहीं है। भारत उन चंद देशों में शामिल हैं जो पेरिस समझौते का पालन कर रहा है। मौजूदा परिदृश्य में कोई भी विकसित देश पेरिस समझौते का अनुपालन नहीं कर रहा है। दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जो जलवायु परिवर्तन पर किए गए वादों के मुताबिक काम कर रहा है।