Covid-19
उत्तराखंड सरकार ने जारी किया करोना वायरस की नई गाइडलाइन अब नाइट कर्फ्यू पर हुआ बड़ा फैसला।
KESHARI NEWS24
देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना वायरस को लेकर राज्य सरकार की नई गाइडलाइन आज से लागू हो गई है। राज्य सरकार का फिलहाल पूरा फोकस फिलहाल कोरोना के संक्रमण की रोकथाम पर है। ताकि प्रदेश में कोरोना की वजह से हालात बेकाबू ना हों इसी के मद्देनजर नई गाइडलाइन में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने पर खास फोकस किया गया है
जबकि सार्वजनिक जगहों पर अब लोगों के लिए मास्क पहनना जरूरी होगा. इसके अलावा भीड़ भाड़ वाली जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने की जिम्मेदारी प्रशासन को सौंपी गई है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि कोरोना बड़ी चिंता है और किसी के जीवन को खतरे में नहीं डाला जा सकता।
इसके अलावा सरकार ने बड़े समारोह, आयोजन और शादी में 100 से ज़्यादा लोगों को परमिशन नहीं देने का फैसला किया है. वहीं, ये परमिशन लोकल एडमिनिस्ट्रेशन से मिलेगी. वहीं, कोरोना के केस बढ़ने पर जिले में नाइट कर्फ्यू लगाया जाए या नहीं, इसका फैसला जिला प्रशासन लेगा।
करोना वायरस के बढ़ते मामलों की वजह से राज्य सरकार ने अब तक कॉलेज और यूनिवर्सिटी खोलने हैं या नहीं, इस पर कोई फैसला नहीं लिया है. कॉलेज और यूनिवर्सिटी खोलने को लेकर फैसला 9 दिसंबर को होने वाली कैबिनेट में होगा.
कुंभ के पर्व स्नान की चुनौती
उत्तराखंड में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हरिद्वार में गंगा स्नान पर रोक रही. प्रशासन ने ये फैसला कोरोना के खतरे को ध्यान में रखते हुए लिया. जब देश के कई राज्यों में कोरोना फिर से बढ़ रहा है. वहीं डेढ़ महीने बाद एक के बाद एक पर्व स्नानों का सिलसिला शुरू होगा, जिनमें 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 11 फरवरी को मौनी अमावस्या, 16 फरवरी को वसंत पंचमी और 27 फरवरी को माघ पूर्णिमा का पर्व स्नान होना है. यही नहीं, इसके बाद 11 मार्च शिवरात्रि , 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या,14 अप्रैल को बैसाखी और 27 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा को शाही स्नान होने हैं. ऐसे में सवाल है कि करीब डेढ़ महीने बाद जो पर्व स्नानों का सिलसिला शुरू होगा, तब सरकार,शासन और प्रशासन क्या फैसला लेंगे. हालांकि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि प्रशासन को हर पर्व और त्योहार के मुताबिक तैयार रहने को कहा गया है, लेकिन फैसला हालात पर निर्भर करेगा. सीएम का कहना है कि कोरोना बड़ी चिंता है और किसी के जीवन को खतरे में नहीं डाला जा सकता.
आपको बता दें कि उत्तराखंड में कोरोना के मामले 75 हजार के नजदीक हैं और 8 महीने में 1200 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं. वहीं, अब तक 5 हज़ार के आसपास एक्टिव केस सरकार की चिंता बढ़ाने के लिए काफी हैं.