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बिहार : गजब का फर्जीवाड़ा, न खरीद न बिक्री और बना दिया 173 करोड़ रुपये का बिल
बिहार में वाणिज्य कर विभाग ने पटना के भागवत नगर में एक फर्जी फर्म पकड़ी है। विभागीय इंटेलीजेंस की जांच में इस फर्म का बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। फर्म द्वारा बिना किसी माल की सप्लाई किए ही 173 करोड़ के इनवाइस (बिल) जारी किए गए। इसमें 27.2 करोड़ की जीएसटी चोरी का खेल शामिल है। विभाग ने समय रहते कार्रवाई कर इस खेल का खुलासा कर दिया।
दरअसल फर्जी फर्म ने ई-वे बिल तो जेनरेट किया, लेकिन जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल नहीं किया। विभाग द्वारा फर्म पंजीकरण के समय दिए गए पते का निरीक्षण किया तो जानकारी मिली कि वहां कुछ है ही नहीं। यानी फर्म केवल कागजों में ही संचालित थी। विभाग ने इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए फर्जी फर्म के जीएसटी पंजीयन निलंबित करने और दूसरे फर्म को आईटीसी का लाभ देने पर रोक लगाने की जानकारी दूसरे राज्यों के वाणिज्य कर विभाग को भी दे दी है। वहीं इस खेल में शामिल बिहार के डीलरों के खिलाफ भी विभाग कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
अब तक सामने आया 150 फर्मों का फर्जीवाड़ा
जीएसटी लागू होने के बाद से वाणिज्य कर विभाग ने अब तक 150 से अधिक फर्जी फर्म पकड़ी हैं। इन फर्जी फर्मों द्वारा 2500 करोड़ से अधिक के ई-वे बिल बिना माल के खरीद-बिक्री के ही इनपुट टैक्स चोरी के लिहाज से जेनरेट किए थे। विभाग द्वारा आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस और दूसरे स्त्रोतों से समय रहते टैक्स चोरी रोकने में सफलता पाई गई। अभी तक विभाग द्वारा कर चोरी में शामिल एक चार्टर्ड एकाउंटेंट समेत सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई की गई है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो विभाग अब ऐसे फर्जी प्रतिष्ठानों पर शिकंजा कसने के लिए अभियान चलाएगा। इसकी शुरुआत जल्द की जाएगी। कर चोरी और बिल ट्रेडिंग के खेल में शामिल फर्मों पर कड़ी कार्रवाई के लिए विभाग द्वारा विस्तृत कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसके लिए विभाग अपने सूचना तंत्र को भी और मजबूत करेगा।
सहयोगी फर्मों पर भी कसेगा शिकंजा
फर्जीवाड़े के इस खेल की जांच में पटना की फर्म की कई सहयोगी फर्मों का भी खुलासा हुआ है। यह फर्में पंजाब और दिल्ली की बताई गई हैं। इस फर्जी कंपनी द्वारा जिन फर्मों से व्यापार दर्शाया गया है वे मुख्य रूप से आयरन स्टील, कॉपर व प्लास्टिक स्क्रैप, रेडीमेड गारमेंट्स के उत्पादन में प्रयोग होने वाले धागा, रंग आदि से संबंधित हैं। पटना की फर्म द्वारा अन्य संदिग्ध फर्मों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ देने के लिए माल की वास्तविक आपूर्ति के बिना बिल ट्रेडिंग को संपुष्ट करने के लिए ई-वे बिल का लेनदेन गलत ढंग से दर्शाया गया।