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वाराणसी : गंगा पार रेत पर निखरा संवेदना, रेत से उभरीं अनोखी आकृतियां

वाराणसी : गंगा पार रेत पर निखरा संवेदना, रेत से उभरीं अनोखी आकृतियां

वाराणसी । गंगा के मध्य से उभरे टीले पर मंगलवार का नजारा न केवल इतर रहा बल्कि अपने दामन में संवेदनाओं की विविधता को समेटे हुए रहा। मूर्तिशिल्पी राम छाटपार की स्मृति में आयोजित रेत में आकृति की खोज का 20वां आयोजन राम छाटपार शिल्पन्यास की ओर से किया गया। स्थानीय कलाकारों और स्कूल के छात्रों के साथ ही देशभर के कलाकार शामिल हुए। 

आयोजन संयोजक मदन लाल गुप्ता व राजश्री गुप्ता ने बताया कि 32 समूह में कलाकारों ने भाग लिया। सभी को प्रमाणपत्र और प्रोत्साहन राशि प्रदान किया गया। सामने घाट स्थित महेश नगर कालोनी के सामने गंगा में उभरे टीले पर मंगलवार को सुबह नौ से शाम चार बजे तक कार्यशाला सजी। आधुनिक मूर्तिशिल्पी गुरु राम छाटपार के 75वें जन्मस्मृति में आयोजन हुआ। न्यास की स्थापना पद्मश्री स्व. प्रो.शंखो चौधुरी ने किया है। 
कलाकारों ने कल्पनाशीलता के बल पर रेत में जीवन होने का भाव अपनी कृतियों के माध्यम से कराया। 167 कलाकारों ने प्राकृतिक सौंदर्य की उंगली पकड़ मानवीय संवेदना के विविध आयाम को रेत पर जीवंत किया। वरिष्ठ कलाकारों के साथ ही नन्हें हाथों ने भी रेत की टीले से संदेश प्रेषित किया। केन्द्रीय विद्यालय बीएचयू की टीम कला शिक्षक कौशलेश कुमार के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश अपनी कृतियों से दिया। पावनी, अदिति मिश्रा, गरिमा पाण्डेय, मनोहर, विनीत कुमार और वैभव पाण्डेय की टीम ने गणेशमय गो ग्रीन के माध्यम से पर्यावरण को बचाने और संभालने का संदेश दिया। वहीं किसान आंदोलन के माध्यम से कृषकों की व्यथा और मांग भी रेत पर नजर आई। 

रेत के टीले पर कहीं कोरोना की जंग में वैक्सीन की जीत नजर आई तो कहीं लाल कीले पर फहराता तिरंगा नजर आया। इनके बीच ही उत्पीड़न के खिलाफ आवाज बुलंद करती कृति भी लोगों को लुभा रही थी तो दिव्य काशी का स्वरूप शंकर की बिखरी जटाओं के माध्यम से आध्यात्म की रसधारा बहाती नजर आई। मुख्य अतिथि प्रो.श्रीप्रकाश शुक्ल, प्रो. प्रदोष मिश्र ने प्रतिभागियों को सम्मानित किया। आयोजन में बीएचयू दृश्य कला संकाय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, ग्वालियर की टीम, धीरेंद्र महिला महाविद्यालय की टीम, भदोही, जौनपुर आदि से ललित कला से जुड़े कलाकार और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।