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लखनऊ : KGMU में जीन सीक्वेंसिंग की जांच शुरू , अब UP से पुणे नहीं भेजने होंगे सैंपल, लखनऊ में हो सकेगी कोरोना के नए स्ट्रेन की जांच
लखनऊ । कोरोना संक्रमितों की जांच और इलाज में अहम भूमिका निभा रहे लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (KGMU) के इतिहास में गुरुवार को एक नई उपलब्धि जुड़ गई है। अब ब्रिटेन में फैले कोरोना के नए स्ट्रेन की पहचान के लिए पुणे सैंपल नहीं भेजना पड़ेगा। केजीएमयू में ही समय पर नए स्ट्रेन की पहचान हो जाएगी। इसके लिए जीन सीक्वेंसिंग की जांच शुरु हो गई है।
UP की पहली कोरोना टेस्ट लैब KGMU में शुरू हुई थी। यहां के माइक्रो बायोलॉजी विभाग में बनी BSL थ्री लैब ने टेस्टिंग में रिकॉर्ड कायम किया है। जिसमें अब तक 10 लाख 50 हजार टेस्ट किए जा चुके हैं। जनवरी माह के अंत तक KGMU के अलावा बनारस के BHU, लखनऊ के CDRI (सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट) और NBRI (नेशनल बोटेनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट) में भी जीन सीक्वेंसिंग की जांच शुरू होगी।
उपलब्ध संसाधनों से शुरू की जांच
माइक्रो बायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉक्टर अमिता जैन ने बताया कि उपलब्ध संसाधनों के जरिए नई जांच को शुरू किया गया है। जीन सीक्वेंसर मशीन से कोरोना पॉजिटिव 10 मरीजों की जांच की गई, जिसमें से एक में भी कोरोना स्ट्रेन नहीं पाया गया। अभी अस्पताल में मौजूद री-एजेंट (अभिकर्मक) के जरिए जांच की जा रही है। जल्द ही मशीन के लिए जरूरी री-एजेंट किट खरीदने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। जिससे तेजी से जांच हो सकेगी। इस जांच से सिर्फ वायरस के स्ट्रेन की पड़ताल की जाएगी।
जीन सीक्वेंसिंग अनिवार्य
पहले यात्रियों का RTPCR (रियल टाइम पॉलीमर्स चेन रिएक्शन) टेस्ट किया जा रहा है। कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें कोविड अस्पताल में अलग वार्ड में भर्ती किया जाएगा। इसके साथ ही पॉजिटिव मरीज में कौन सा स्ट्रेन मौजूद है इसकी जांच के लिए जीन सीक्वेंसिंग की जांच को अनिवार्य किया गया है।