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लखनऊ : खाते में पड़े है करोड़ों, विकास के नाम पर बजट का रोना रो रहे नगर निगम
लखनऊ। शहरों में विकास की स्थिति को लेकर नगर निगमों ने राज्य सरकार की सारी उम्मीदों और कोशिशों पर पानी फेर दिया है. शहरों में विकास कार्य कराने और स्थिती बेहतर बनाने के लिए प्रदेश के 17 नगर निगमों के पास भरपूर मात्रा में पैसा होने के बावजूद विकास कार्य करवाने के नाम पर बजट कम होने का रोना रोया जा रहा है. प्रदेश के नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ने जब निगमों की बजट स्थिति की जांच करवाई तो पता चला कि नगर निगमों के खातों में पहले से 1572 करोड़ रुपया मौजूद है, फिर भी नगर निगम बजट कम होने का बहाना कर के शहर के विकास कार्य को पूरा नहीं कर रहे हैं.
नगर विकास विभाग जल्द ही नगर निगमों के विकास कार्यों पर पैसा खर्च न करने का कारण पूछेगा. प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों से यह जानकारी ली जाएगी कि उन्हें कब और कितना पैसा दिया गया, कब, कहां खर्च और कितना किया गया. अगर शेष बजट राशि बैंको में अभी भी मौजूद है तो इसकी क्या वजह है या इस राशि के लिए क्या प्रस्ताव तय किया गया है.
उत्तर प्रदेश के अन्य निगमों की एक जैसी स्थिति है लेकिन प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नगर निगम में भी 14वें, 15वें और राज्य वित्त आयोग का भी भरपूर पैसा पड़ा हुआ है. नगर विकास विभाग के मुताबिक लखनऊ नगर निगम को 15वें वित्त आयोग में 148 करोड़ रुपए दिए गए थे. सूत्रों के मुताबिक जिसमे से कोई भी पैसा अभी तक खर्च नहीं किया गया है. इतना ही नहीं, लखनऊ नगर निगम की बची हुई धनराशि पीएफएमएस प्लेटफॉर्म से किसी दूसरे बैंक में ट्रांसफर करवा देने के कारण केवल 83 करोड़ रुपए ही बैंक अकाउंट में दिखाई दे रहे हैं. नगर विकास मंत्री ने इस पर आपत्ति जताते हुए लखनऊ नगर आयुक्त को ज़रूरत के मुताबिक पैसों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है और साथ ही कहा है कि निगम बजट का रोना बार बार ना रोए.