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 16 करोड़ के इंजेक्शन ने बचाया गया एक और मासूम की जिंदगी

16 करोड़ के इंजेक्शन ने बचाया गया एक और मासूम की जिंदगी

बेगलुरु | जेनेटिक बीमारी- स्पाइनल मस्क्यूलर से जूझ रही एक और चौदह महीने की बच्ची फातिमा को 16 करोड़ के इंजेक्शन से बचा लिया गया है। बेंगलुरु के एक अस्पातल में बीमारी से जूझ रही बच्ची के नाम 16 करोड़ की लॉटरी खुल गई, जिससे उसे यह इंजेक्शन ‘ज़ोलगेन्समा’ लगाया गया। दरअसल, इससे पहले मुंबई के अस्पताल में पांच महीने की बच्ची को ऐसा ही 16 करोड़ का इंजेक्शन दिया गया था। इसके लिए पैसे लोगों ने सोशल मीडिया पर जुटाए थे, जबकि छह करोड़ रुपये का कर पीएमओ ने माफ कर दिया। 

कर्नाटक के तटीय उत्तर कन्नड़ जिले के भटकल शहर के मोहम्मद बासिल और खदीजा की बेटी फातिमा पिछले महीने के आखिर में बेंगलुरु बैपटिस्ट अस्पताल में जीन थेरेपी 'ज़ोलगेन्समा' देने के बाद ठीक हो रही हैं। अस्पताल ने कहा कि वह ड्रग कंपनी नोवार्टिस द्वारा एक कल्याणकारी प्रोग्राम के माध्यम से ‘लॉटरी का भाग्यशाली विजेता’ बनकर उभरी। इससे मिले धन से उसे महंगे इलाज में मदद मिली। 

अस्पताल के निदेशक (सीईओ) नवीन थॉमस ने कहा, ‘इस दवा की लागत लगभग 21 लाख अमेरिकी डॉलर या लगभग 16 करोड़ रुपये है।’बासिल ने कहा, ‘धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। वह अब अपना पैर हिलाने में सक्षम है। एक सामान्य बच्चे की तरह बनने में समय लगेगा।

दरअसल, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 एक दुर्लभ बीमारी है। जो बच्चे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 से पीड़ित होते हैं, उनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं, शरीर में पानी की कमी होने लगती है और स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कत होती है। इस बीमारी बच्चा पूरी तरह से निष्क्रिय सा हो जाता है।