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गोंडा : किसानों के पैसे से बीमा कंपनियां हो रही है मालामाल , क्षतिपूर्ति के लिए भटक रहे किसान
गोंडा। मौसम की मार से परेशान किसानों को राहत देने के लिए लाई गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बीमा कंपनियों के लापरवाही की भेंट चढ़ गई। किसानों के पैसेेेे से बीमा कंपनियां मालामाल हो रही हैं। वहीं फसल नुकसान के बाद मुआवजे के लिए 13 हजार अन्नदाताओं को दर-दर भटकना पड़ रहा है।
बीमा करते समय कंपनियां किसानों को फसलों के नुकसान पर क्षतिपूर्ति का दावा करती हैं। लेकिन जब फसल खराब हो जाती हैं तो क्षतिपूर्ति देने में बीमा कंपनियों के नियम इतने सख्त हो जाते हैं कि किसान इधर उधर भटकता रहता है।
वर्ष 2016 में लागू प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का उद्देश्य मौसम की मार से परेशान किसानों को राहत देना था। जिसके तहत किसान पहले फसलों का बीमा करवा सकता है। किसानों को प्रीमियम की आंशिक किस्त जमा करना होता है, बाकी किस्त सरकार जमा करती है।
जिले में खरीफ की फसलों में करीब 13 हजार किसानों ने धान व मक्का फसल का बीमा करवाया। फसलों की बीमा के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया को नामित किया गया है।
बैंकों से लोन लेने वाले किसानों के खाते से फसल बीमा के लिए प्रीमियम की दो प्रतिशत राशि काट ली गयी। वहीं अपनी इच्छा से बीमा करवाने वाले किसानों के खाते से भी प्रीमियम की दो फीसदी धनराशि काटी गई। लेकिन फसल खराब होने के बाद किसानों को मुआवजा नही मिल पा रहा है।
जगतपुर निवासी किसान महेश कुमार तिवारी ने KESHARI NEWS24 टीम को बताया कि उन्होंने अपने पिता शिवशंकर तिवारी के नाम से एसबीआई ब्रांच मंगुरा से केसीसी लोन लिया था। लोन के पैसे से हर वर्ष फसल बीमा के नाम पर 741 रुपया काट लिया जाता है। इस बार गन्ना व मक्का की सारी फसल खराब हो गई। लेकिन एक भी रुपया मुआवजा नहीं मिला।
खरगूपुर के निवासी मन्नू सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने पिता नंद किशोर सिंह के नाम से केसीसी लोन लिया था। लोन के खाते से हर साल पैसा बैंक काटता रहा लेकिन फसल खराब होने के बाद एक भी रुपया नहीं मिला।
मंगुरा निवासी किसान व पूर्व प्रधान राम चरन ने बताया कि लोन के पैसे से हर साल कटौती बैंक करता रहा, लेकिन एक भी रुपया मुआवजा नहीं दिया।
राजापुर निवासी केके शुक्ल ने बताया कि उन्होंने सर्व यूपी ग्रामीण बैंक से केसीसी लोन लिया था, लेकिन फसल खराब होने के बाद फसल का मुआवजा नहीं दिया गया ।