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गोरखपुर : उनौला दोयम के प्रगतिशील किसान धर्मेंद्र सिंह ने दो बीघे खेत में उगाए स्ट्राबेरी

गोरखपुर : उनौला दोयम के प्रगतिशील किसान धर्मेंद्र सिंह ने दो बीघे खेत में उगाए स्ट्राबेरी

गोरखपुर के उनौला दोयम के प्रगतिशील किसान धर्मेंद्र सिंह ने दो बीघे में स्ट्राबेरी की खेती की है। वह खेत में ही फल की पैकिंग करते है और गोरखपुर पहुंचा देते हैं। यह कारोबारी 300 रुपये प्रति किलो की दर से हाथोंहाथ खरीद लेते हैं। सितंबर से करीब छह लाख रुपये खेती पर खर्च कर चुके हैं। उन्हें उम्मीद है कि अप्रैल तक वह फल बेचकर 15 लाख रुपये मिल जाएंगे। मुनाफे की इस खेती में वह आठ श्रमिकों को रोजगार भी दे रहे हैं।
स्नातक धर्मेंद्र बताते हैं खेती से भी उद्योगों की तरह मुनाफा कमाया जा सकता है। बशर्ते बाजार की जरूरतों के मुताबिक फसलें तैयार की जाएं। ऐसी फसलों के लिए न तो सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने का इंतजार और न ही सरकारी क्रय केंद्रों पर उपज बेचने का। धर्मेंद्र पिछले 14 साल से गांव में खेती कर रहे हैं। खुद की ज्यादा जमीन नहीं है। ऐसे में उन्होंने 30 बीघा जमीन किराए पर ली है। प्रति बीघा 7 हजार रुपये खेत का किराया देते हैं। इस जमीन में केले और सब्जियों की खेती करते रहे हैं। उद्यान विभाग की प्रेरणा से पिछले वर्ष उन्होंने स्ट्राबेरी की खेती शुरू की। शुरुआत छोटे स्तर पर की। कोरोना काल में भी उन्हें यह खेती फायदे का सौदा लगी तो इस बार उन्होंने पुणे से 35000 पौधे लाकर दो बीघा जमीन में लगाए। एक पौधा खेत तक आकर 15 रुपये का पड़ा, जिसमें 600 से 800 ग्राम फल मिलता है।
धर्मेंद्र ने विशेषज्ञों की सलाह पर प्लास्टिक मल्चिंग का इस्तेमाल कर स्ट्राबेरी के लिए खेत तैयार किया। ड्रिप इरिगेशन अपनाई जिसके लिए उन्हें अनुदान भी मिला। मिट्टी का बेड बनाने के दौरान ही ड्रिप एरिगेशन की पाइप लाइन को लगाया गया। इससे खेत में बेड बना कर जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक की पारदर्शी फिल्म के द्वारा सही तरीके से ढका गया। उसके बाद प्लास्टिक में छेद कर पौधे लगाए गए। इस विधि से खरपतवार नियंत्रण के साथ भूमि का तापमान भी नियंत्रित करने में मदद मिली। इस तकनीक से खेत में पानी की नमी को बनाए रखने और वाष्पीकरण रोका जाता है। ये तकनीक खेत में मिट्टी के कटाव को भी रोकती है। खेत में उवर्रक का इस्तेमाल भी ज्यादा उचित ढंग से किया जा सकता है।

धर्मेंद्र कहते हैं कि हर दिन गोरखपुर और आसपास से किसान उनकी फसल देखने के लिए आते हैं। उन्हें स्ट्राबेरी की खेती के तरीके बताता हूं। यह भी बताता हूं कि कैसे कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।