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जौनपुर : कोर्ट ने महबूबा मुफ्ती के खिलाफ़ जारी किया नोटिस, राष्ट्रध्वज को लेकर अपमानजनक की टिप्पणी
जौनपुर । जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को जिला एवं सत्र न्यायाधीश मदन पाल सिंह की कोर्ट ने शुक्रवार को नोटिस जारी किया है। महबूबा मुफ्ती पर राजद्रोह व राष्ट्रध्वज पर अमर्यादित टिप्पणी का आरोप है। कोर्ट ने यह नोटिस अधिवक्ता हिमांशु श्रीवास्तव की ओर से निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध दाखिल की गई पुनरीक्षण याचिका पर जारी किया है। मामले में सुनवाई के लिए कोर्ट ने 23 मार्च की तिथि मुकर्रर की गई है।
परिवादी अधिवक्ता हिमांशु श्रीवास्तव ने अधिवक्ता उपेंद्र विक्रम सिंह के माध्यम से कोर्ट में प्रार्थना पत्र देते हुए कहा था कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पूरा देश गौरवान्वित हुआ। लोगों को गर्व था कि पूरे भारत में तिरंगा झंडा लहराएगा व एक राष्ट्रध्वज पूरे देश में रहेगा।
23 अक्टूबर 2020 को महबूबा मुफ्ती ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि अनुच्छेद 370 की बहाली तक वह लड़ती रहेंगी। उनका ध्वज लूटा गया है और कोई झंडा नहीं उठाएंगी। 24 अक्टूबर 2020 को शाम छह बजे वादी व गवाहों ने उनके इस वक्तव्य को देखा सुना। इससे अत्यंत कष्ट पहुंचा। असंतोष पैदा हुआ। राजद्रोहात्मक व तिरंगे का अपमान करने वाला वक्तव्य देकर देश को कमजोर करने का प्रयास किया गया।
कहा कि महबूबा के बयान से एकता व अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। निचली अदालत ने प्रार्थना पत्र को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि महबूबा मुफ्ती लोकसेवक हैं और उन पर मुक़दमे के पूर्व राज्य की अनुमति आवश्यक है। इसके बाद निचली कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई। इसमे कहा गया कि कोर्ट में आरोप पत्र लगने के दौरान सरकार से पूर्व स्वीकृति आवश्यक है। 156(3) दंप्रसं की प्रार्थना पत्र या एफआईआर के लिए नहीं। राज्य सरकार को भी मामले में पक्षकार बनाया गया है।