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राज्यसभा में बोलीं वित्त मंत्री , ‘ कांग्रेस शासन से मिली थीं जो समस्याएं, उन्हें मोदी सरकार ने किया ठीक  '

राज्यसभा में बोलीं वित्त मंत्री , ‘ कांग्रेस शासन से मिली थीं जो समस्याएं, उन्हें मोदी सरकार ने किया ठीक '

नई दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण  ने बुधवार को विश्वास जताते हुए कहा कि राजकोषीय घाटे (सरकार की आमदनी की बजाय उसका खर्च बढ़ना) में वृद्धि के चलते भी देश की वित्तीय साख में कमी आने जैसा कोई खतरा नहीं है. उन्होंने वित्त विधेयक 2021 पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए खराब अर्थव्यवस्था को लेकर पूर्व कांग्रेस सरकार की आलोचना की और कहा कि ‘मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को बेहतर तरीके से मैनेज कर रही है. 2014 में पूर्व UPA सरकार से जो आर्थिक समस्याएं हमें मिली थीं, उसे मोदी सरकार ने ठीक किया है.’

वित्त मंत्री  के जवाब के बाद राज्यसभा ने वित्त विधेयक 2021 को बिना किसी संशोधन, सुझाव के लोकसभा को लौटा दिया. इसी के साथ संसद से आम बजट को मंजूरी मिलने की प्रक्रिया पूरी हो गई है. आने वाली पहली अप्रैल से शुरू अगले वित्त वर्ष  के लिए लोकसभा सरकार की ओर से पेश किए गए कुछ संशोधनों के साथ मंगलवार को बजट में टैक्स संबंधी प्रस्तावों से जुड़े वित्त विधेयक 2021 को मंजूर कर चुकी है.



विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा हुई और उसके बाद बदलाव को लेकर बिना किसी सुझाव के उसे लोकसभा को भेज दिया गया. वित्त मंत्री ने कम महंगाई, हाई GDP , रिकार्ड विदेशी निवेश और कम राजकोषीय घाटे का हवाला दिया. चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि खर्च बढ़ने की वजह से बढ़े राजकोषीय घाटे के बाद भी, अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए देश की वित्तीय साख में कमी किए जाने जैसा कोई खतरा नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत की एक निवेश ग्रेड रेटिंग है और अच्छे निवेश के चलते उन्हें नहीं लगता कि ये घटेगी. वित्त मंत्री ने कहा कि उच्च घाटे की वजह ज्यादा खर्च और कर्ज में बढ़ोतरी है.


सीतारमण ने कहा कि अर्थशास्त्रियों और रेटिंग एजेंसियों की राय है कि सरकार को कोरोना महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाने के लिये खर्च करने की जरूरत है और देश ने उस सलाह को माना है. हालांकि पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार की योजनाओं के लागू होने को लेकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सदस्यों के साथ नोकझोंक की वजह से सीतारमण अपना पूरा भाषण नहीं पढ़ पाईं.

TMC सदस्य डोला सेन की बातों का वित्त मंत्री ने बांग्ला में अपने जवाब में कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने किसानों के नाम नहीं दिए, जिससे उन्हें पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिला. राज्य सरकार ने वहां के लोगों को केंद्र की स्वास्थ्य योजना का लाभ भी नहीं लेने दिया.

उनकी इस बात का तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने विरोध किया. डोला सेन ने कहा, “हमने कभी इनकार नहीं किया…वह गुमराह कर रही हैं.’’ पश्चिम बंगाल में आने वाले विधानसभा चुनाव में BJP और TMC के बीच जारी जुबानी जंग के बीच सेन ने बजट प्रस्तावों में कमियों को उठाया और जोर से ‘लज्जा’, ‘लज्जा’ के नारे लगाए.

केंद्र सरकार बंगाल में गरीब किसानों को 10,000 करोड़ रुपये देना चाहती है लेकिन राज्य सरकार इसकी अनुमति नहीं दे रही है.’’ उन्होंने उसी भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा, “सेन ने लज्जा, लज्जा शब्द का इस्तेमाल किया लेकिन मैं कहना चाहती हूं कि क्या किसानों को नकद राशि नहीं देने देना सही है? लज्जा लज्जा.”

वित्त मंत्री ने कहा, “केंद्र सरकार आयुष्मान भारत योजना भी लागू करना चाहती है ताकि बंगाल के गरीब लोगों को इसका लाभ मिले लेकिन राज्य सरकार इसका अनुमति नहीं दे रही. क्या यह गरीब लोगों के लिये सही है? लज्जा, लज्जा.” तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने इसका विरोध किया. इस पर राज्यसभा के उप सभापित हरिवंश ने मंत्री से अपनी बातें खत्म करने और वित्त विधेयक को मतदान के लिये रखने को कहा.

वित्त विधेयक और सरकारी संशोधनों को ध्वनि मत से मंजूरी

वित्त विधेयक (Finance Bill) और सरकारी संशोधनों को ध्वनि मत से मंजूरी दी गई और उसे वापस लौटा दिया गया. वित्त विधेयक, धन विधेयक (Money Bill) की कैटेगरी में आता है. संविधान के तहत धन विधेयक को केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है. लोकसभा मौजूद सदस्यों के साधारण बहुमत से इसे पारित कर सकता हैं, उसके बाद इसे विचार के लिये राज्यसभा भेजा जाता है. राज्यसभा इसमें सुधार की सिफारिशें कर सकता है, लेकिन लोकसभा को यह अधिकार है कि वह उसे खारिज कर दे.

अगर सिफारिशें 14 दिनों के भीतर नहीं दी जाती हैं, विधेयक को संसद की तरफ से पारित मान लिया जाता है. इससे पहले, दोनों सदनों ने कुछ जरूरी खर्चों के लिये विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) को मंजूरी दे दी थी. राज्यसभा के वित्त विधेयक 2021 को चर्चा के बाद लोकसभा को लौटा देने के साथ संसद से आम बजट को मंजूरी मिलने की प्रक्रिया पूरी हो गई है.


उन्होंने कहा, “पहले की कांग्रेस सरकार की गड़बड़ियों को मोदी सरकार ने ठीक किया. UPA सरकार ने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट (Global Financial Crisis) को लेकर जो कदम उठाये थे, उससे महंगाई बढ़ी और बड़े पैमाने पर धन निकाला गया.” सीतारमण ने कहा कि 2014 से 2019 के दौरान औसत जीडीपी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रही जो UPA शासन में 2009 से 2014 के दौरान 6.7 प्रतिशत थी.
वित्त मंत्री ने कहा कि राजकोषीय घाटा भी 2014-19 के दौरान जीडीपी का 3.65 प्रतिशत रहा जो इससे पिछले पांच साल में 5.3 प्रतिशत था.


उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार 2014 में 303 अरब डॉलर से बढ़कर 411.9 अरब डॉलर पहुंच गया. फंसा कर्ज या एनपीए मार्च 2020 में घटकर 8.99 प्रतिशत पर आ गया. उन्होंने कहा, “जब अरुण जेटली (मोदी सरकार के पहले वित्त मंत्री) 2014 में आए, भारत पांच नाजुक अर्थव्यवस्था वाले देशों में से एक था. अब यह तेजी से बढ़ने वाला देश बन गया है. आपने संकट पैदा किया और जेटली जी और प्रधानमंत्री मोदी ने उसे संभाला.” वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि 2008 के वित्तीय संकट की तुलना पिछले साल के कोरोना संकट से नहीं की जा सकती.