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वाराणसी में आज बाबा विश्वनाथ संग महाश्‍मशान मणिकर्णिका पर होली खेलने जुटा भक्तों का भीड़।

वाराणसी में आज बाबा विश्वनाथ संग महाश्‍मशान मणिकर्णिका पर होली खेलने जुटा भक्तों का भीड़।



वाराणसी। मोक्ष की नगरी काशी में महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर यह अनूठा उत्सव देखने और उसमें शामिल होने के लिए समूची काशी के लोग सुबह से ही जुटने लगे। भारी भीड़ के आगे कोरोना का डर कहीं नहीं दिखाई दिया। अन्य राज्यों व देशों से आए पर्यटकों के लिए भी यह एक विस्मयकारी कौतूहल रहा। तमाम भूत-प्रेत पिशाच, यक्ष गंधर्व, किन्नर सभी बाबा की टोली में शामिल होकर मस्त-मलंग महाश्मशान की इस होली का आनंद लेने पहुंचे तो राग विराग की नगरी काशी भी निहाल हो गई। चिता भस्म की होली के पूर्व महाश्मशान नाथ की आरती की परंपरा का निर्वहन किया गया। संगीत घरानों के कलाकार बाबा की महिमा का गान करने पहुंचे। एक तरफ चिताओं पर शवों का दाह संस्कार तो दूसरी तरफ खेले मसाने में होली दिगंबर की धुन पर जबरदस्त नाच गाना किया, काशी के महाश्मशान पर आयोजित बाबा चिता भस्म की होली की। महादेव शिव की यह लीला रंगभरी एकादशी के ठीक अगले दिन मनाने की परंपरा रही है।

महाश्‍मशान मणिकर्णिका घाट जहां युगों से चिताओं की आंच ठंडी नहीं पड़ी वहां रंग पर्व का उत्‍साह गुरुवार की सुबह से ही छलक पड़ा। मान्यता है कि रंगभरी पर पार्वती का गौना लाने के बाद बाबा विश्वनाथ अपने गणों और भक्तों के साथ होली खेलने महाश्मशान पर आते हैं। यहां धधकती चिताओं के बीच चिता भस्म से होली खेलते हैं। महादेव शिव के भस्मांगरागाय महेश्वराय स्वरूप का दिव्य श्रृंगार घाट पर बाबा मशाननाथ का किया गया। सुबह से ही साज सज्‍जा और पूजन अनुष्‍ठान का दौर चला तो घाट भी महादेव के भस्‍म से सराबोर नजर आया। रागरागिनियां सजीं और सुरों की टेर खनक उठी। फाग के राग गूंजे और महादेव शिव जीवन-मरण के दिव्य दर्शन को अपने भक्तों को उत्सव रचाकर समझाने भक्‍‍‍‍‍तों के बीच आ गए। बाबा के साथ उनके गण और भक्त, सामान्य जीव भी चिता भस्म लगाकर शिवस्वरूप हो गए।