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नई दिल्ली : उपराज्यपाल को ज्यादा अधिकार देने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी, हंगामे के बीच राज्यसभा से भी पारित
नई दिल्ली । राज्यसभा में बुधवार को दिल्ली संशोधन विधेयक पारित हो गया। सदन में विधेयक पेश होने के साथ राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ, जिससे सदन को कई बार स्थगित करना पड़ा। यह विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है। विधेयक पर हुई लंबी बहस के दौरान गरमागरमी का माहौल बना रहा। हालांकि विधेयक पेश करने को लेकर ही पूरा सदन शोरशराबे और हंगामे में डूब गया। विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार के खिलाफ पीठ के समक्ष आकर नारेबाजी की।
विधेयक पारित कराने के लिए मत विभाजन की मांग की गई। जिसमें 45 के मुकाबले 83 मतों से विधेयक पारित हो गया। इसके बाद विपक्षी दलों ने सदन से वाकआउट कर लिया। इसके बाद विधेयक के विभिन्न खंडों को ध्वनिमत से पारित करा दिया गया। कांग्रेस और आप समेत अन्य विपक्षी दलों ने सभापति के आसन के समीप आकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस संशोधन विधेयक को सरकार व लोकतंत्र विरोधी करार देते हुए इसे तुरंत सेलेक्ट कमेटी को सौंपने की मांग की।
उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक पारित होने से चुनी हुई दिल्ली सरकार और विधायकों का अधिकार छिन जाएगा। संशोधन विधेयक के औचित्य पर आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य संजय सिंह ने सदन में नोटिस दिया था। उन्होंने विधेयक को गैर संवैधानिक और अलोकतांत्रिक बताते हुए रोकने की मांग की। उनके इस भाषण के साथ ही सदन में विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार विरोधी नारेबाजी और हंगामा शुरू कर दिया। उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी.किशन रेड्डी को विधेयक पेश करने की अनुमति दी। भारी शोर शराबे के बीच रेड्डी ने विधेयक पेश करते हुए इसके औचित्य पर अपनी बात रखी।
विधेयक के पास होने के बाद के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लिखा कि राज्यसभा ने GNCTD संशोधन विधेयक पारित किया। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए दुखद दिन है। हम लोगों को सत्ता वापस दिलाने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे। जो भी बाधाएं हैं, हम अच्छा काम करते रहेंगे। काम न तो रुकेगा और न ही धीमा होगा।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर लिखा कि आज का दिन लोकतंत्र के लिए काला दिन है। दिल्ली की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के अधिकारों को छीन कर एलजी के हाथ में सौंप दिया गया। विडंबना देखिए कि लोकतंत्र की हत्या के लिए संसद को चुना गया, जो हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। दिल्ली की जनता इस तानाशाही के खिलाफ लड़ेगी।