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वाराणसी : होली पर्व पर चौसट्टी देवी के दरबार में श्रद्धालुओं ने चढ़ाया अबीर गुलाल , अन्य धार्मिक स्थलों पर उमड़ा जनसैलाब

वाराणसी : होली पर्व पर चौसट्टी देवी के दरबार में श्रद्धालुओं ने चढ़ाया अबीर गुलाल , अन्य धार्मिक स्थलों पर उमड़ा जनसैलाब

वाराणसी । रंगों के पर्व होली पर चौसट्टीघाट स्थित चौसट्टी देवी के दरबार में लोगों ने परम्परानुसार अबीर गुलाल चढ़ाया। लोग रंगों की होली समाप्त होने के बाद दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचने लगे। महिला श्रद्धालुओं की भीड़ दोपहर बाद मंदिर में उमड़ पड़ी। होली पर्व पर काशी में चौसट्टी देवी के दर्शन पूजन का विधान हैं। परम्परागत तरीके से मां के श्रीचरणों में अबीर गुलाल अर्पित करने के बाद मंदिर में परिक्रमा कर लोग आह्लादित हुए। काशी में मान्यता है कि राजा दिवोदास का मतिभ्रम करने के लिए स्वयं महादेव ने 64 योगीनियों को काशी भेजा था। काशी की समरसता, धार्मिकता के मोहपाश में योगिनी बंध गयी और काशी में ही बस गयी। अन्तत: शिवशंकर को ब्रह्मा जी के माध्यम से काशी मेें पुन: प्रवेश का अवसर मिला। 

एक अन्य कथा है कि काशी के महाप्रतापी राजा दिवोदास ने एक समय काशी पुराधिपति के आधिपत्य को चुनौती दे दी थी। उसने बाबा की नगरी के शिवतत्व को क्षीण करने का भी प्रयास किया। उसे अपदस्थ करने के लिए भगवान शिव ने कैलाश शिखर से पहले अष्ट भैरवों व छप्पन विनायकों को काशी भेजा, जो बाद में यहीं स्थापित हो गए। इसी क्रम में चौंसठ योगिनियों ने भी काशी प्रवास किया व बाबा विश्वनाथ के दोबारा काशी पधारने के बाद उनकी कृपा से यहीं पूजित व प्रतिष्ठित हुईं। 

पुराणों और काशी खंड में भी इन चौंसठ योगिनियों की महिमा बखानी गई है। इस मंदिर का इतिहास लगभग पांच सौ साल से भी अधिक प्राचीन है। इसका निर्माण बंगाल के राजा प्रतापदित्य ने कराया था। मंदिर के प्रवेश द्वार पर सिंहवाहिनी मां दुर्गा विराजमान हैं। होली पर्व पर ही श्री काशी विश्वनाथ दरबार , बाबा कालभैरव, मां अन्नपूर्णा, महामृत्युंजय मंदिर, मां शीतला, मां संकठा, मां पिताम्बरा, मां मंगला गौरी, मां दुर्गा, मां महालक्ष्मी, श्री बटुक भैरव, मां कामाख्या, श्री विश्वनाथ मंदिर (बीएचयू), बाबा कीनाराम दरबार, अघोर दरबार पड़ाव में भी भक्तों ने पूरे आस्था के साथ अबीर अर्पित किया