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व्हीकल री-कॉल पॉलिसी : वाहन में खराबी निकलने पर कंपनियों को देना पड़ेगा एक करोड़ रुपये तक जुर्माना
नई दिल्ली । केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के तहत परिवहन मंत्रालय द्वारा यह पहले ही उल्लेख किया गया है, कि वाहन निर्माताओं या आयातकों को स्वैच्छिक रीकॉल करने में विफल रहने पर जुर्माना देना होगा। जैसा कि नाम से पता चलता है, स्वैच्छिक रिकॉल तब होता है जब वाहन निर्माता अपने आप अपने वाहनों को मुद्दे को ठीक करने के लिए वापस बुलाता है।
सरकार वाहन निर्माता, आयातक या रेट्रोफिटर को इसके तहत एक नोटिस जारी कर सकती है। जिसमें सरकार को उपभोक्ताओं को सूचित कर ऐसे वाहनों के खरीदारों को वाहन के जोखिमों के बारे में सूचित करना होगा। यदि वाहन निर्माता सामने आई समस्याओं से सहमत है, तो यह रिकॉल प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वाहन को ठीक करने में लगने वाले खर्च को वाहन निर्माता को वहन करना पड़ेगा। वहीं अगर हन निर्माता सरकार के फैसले से सहमत नहीं है, तो वह उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।
बता दें, कार निर्माताओं या आयातकों से जो जुर्माना वसूला जाएगा, वह उस लागत के अतिरिक्त होगा जो कि रिकॉल किए गए वाहनों को ठीक करने के लिए किया जाएगा। यदि एक लाख से अधिक चार-पहिया वाहनों को या छह लाख से अधिक दो-पहिया वाहनों को बुलाया जाता है। तो जुर्माने की राशि 1 करोड़ होगी। इसके अलावा भारी माल वाहनों और 9 लोगों को ले जाने वाले वाहनों के लिए रिकॉल की गिनती 50,000 वाहन निर्धारित की गई है, लेकिन इनकी भी अधिकतम जुर्माना राशि 1 करोड़ रुपये ही होगी।
साफ शब्दों में समझे तो अगर किसी कार या एसयूवी की सालाना सेल 500 यूनिट है, और उनमें से 100 यूनिट को रिकॉल किया गया है, तो जुर्माना राशि सोल्ड यूनिट की 20 प्रतिशत तक होगी।