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राफेल सौदे में दलाली करने वालों का नाम उजागर ? फेंच जर्नल ने अपनी तीसरी रिपोर्ट में सुशेन गुप्ता का लिया नाम

राफेल सौदे में दलाली करने वालों का नाम उजागर ? फेंच जर्नल ने अपनी तीसरी रिपोर्ट में सुशेन गुप्ता का लिया नाम

नई दिल्ली । राफेल सौदे में दलाली को लेकर फ्रेंच की एक ऑनलाइन पत्रिका ने गुरुवार को कहा कि उसके पास कुछ डॉक्यूमेंट्स हैं जिससे यह पता चलता है कि जेट बनाने वाली कंपनी डसाल्ट और उसकी सहायक कंपनी थाल्स ने सुशेन गुप्ता को गुप्त कमीशन के रूप में कई मिलियन यूरो का भुगतान किया है। 

राफेल सौदे को लेकर अपनी तीसरी और अंतिम रिपोर्ट में पत्रिका ने दावा किया है कि गुप्ता को यह पैसा ऑफशोर एकाउंट और शेल कंपनियों के माध्यम से पहुंचाया गया था, जिसमें सॉफ्टवेयर परामर्श को लेकर चालान का उपयोग किया गया था। 

गुप्ता का नाम अगस्ता वेस्टलैंड चार्जशीट में है। इस संबंध हिन्दुस्तान टाइम्स की ओर से मीडिया रिपोर्ट को लेकर पूछे गए सवाल का डसाल्ट और थेल्स ने कोई जवाब नहीं दिया है। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय ने भी फ्रेंच पत्रिका के दावे पर कोई टिप्पणी नहीं की है। 

रविवार को सामने आई फ्रेंच पत्रिका की पहली रिपोर्ट में दावा किया गया था कि डसाल्ट एविएशन ने इस डील में राफेल के लिए एक भारतीय मध्यस्थ को एक मिलियन यूरो (करीब 9 करोड़ रुपए) की दलाली दी गई। 


बता दें कि फेंच पत्रिका की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की तो दूसरी ओर बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रिपोर्ट को तथ्यहीन बताया। गुरुवार को छपी रिपोर्ट में दावा किया गया है सुषेन गुप्ता ने इस डील के गोपनीय दस्तावेज को भारत के उन अधिकारियों के संबंधित लोगों से हासिल किया जो कि इस डील के लिए बातचीत करने वाली टीम से संबंधित थे।

 रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय ने सुषेन के खिलाफ अपनी चार्जशीट में लिखआ है कि गुप्ता को डायरेक्ट संवेदनशील डेटा प्राप्त हुए थे, जिसे कि केवल रक्षा मंत्रालय के पास होना चाहिए थे।


फ्रांसीसी वेबसाइट ने दावा किया कि डसॉल्ट और यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए ने राफेल लड़ाकू अनुबंध से एंटी करप्शन क्लॉज को हटाने के लिए कड़ी मेहनत की थी, जिस पर बाद में तत्कालीन फ्रांसीसी रक्षा मंत्री, अब विदेश मंत्री, जीन-यवेस ले ड्रियन ने हस्ताक्षर भी किया था। वेबसाइट ने कहा कि फ्रांस्वा ओलांद, जो मई 2012 और मई 2017 के बीच फ्रांस के राष्ट्रपति थे, उन्होंने कहा कि वह उस समय वार्ता के इन पहलुओं से अवगत नहीं थे, 


इसलिए उन्होंने एंटी करप्शन क्लॉज को मंजूरी नहीं दी थी। वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने एमबीडीए से संपर्क किया था लेकिन उसने कोई टिप्पणी नहीं की।