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चंदौली : आपदा के समय में मुनाफाखोर बढ़ा दिए सभी जरूरी चीजों के दाम , प्रशासन ने साधी चुप्पी

चंदौली : आपदा के समय में मुनाफाखोर बढ़ा दिए सभी जरूरी चीजों के दाम , प्रशासन ने साधी चुप्पी

चंदौली । कोरोना महामारी को मुनाफाखोरों ने कमाई का अवसर बना लिया है। खाद्य सामग्रियों समेत अन्य जरूरी चीजों की जमाखोरी शुरू कर दी है। इससे जरूरी चीजों के दाम बढ़ गए हैं। दस दिन के भीतर सरसों तेल, रिफाइंड, दाल सहित अन्य खाद्य सामग्रियों की कीमतों में उछाल आ गया है। इससे लोगों की जेब ढीली हो रही है। घर का बजट बिगड़ गया है। प्रशासन सबकुछ जानने के बाद भी चुप बैठा है।

कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए जिले में साप्ताहिक लॉकडाउन लगाया जा रहा है। इस बीच मुनाफाखोरों ने लॉकडाउन लगने की अफवाह फैलाकर जरूरी चीजों की जमाखोरी शुरू कर दी है। इसका असर बाजार पर पड़ा है। दस दिन के भीतर खाद्य सामग्रियों के दामों में तेजी से इजाफा हुआ है।

 थोक से लेकर फुटकर दुकानदार तक इस संकट के दौर में कमाई के चक्कर में पड़े हुए हैं। उनकी मनमानी से लोगों को घर का बजट संभालना मुश्किल हो रहा है। दस दिन पहले सरसों का तेल 140 से 150 रुपये लीटर था, जो बढ़कर 175 रुपये पर पहुंच गया है।
वनस्पति घी 135 रुपये लीटर से बढ़कर 150 रुपये हो गया है। इसी तरह रिफाइंड के दाम में भी 25 से 30 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। इसकी कीमतें 140 से बढ़कर 160- 165 रुपये प्रति लीटर पहुंच गई हैं। अरहर, मूंग व उरद की दाल में भी तेजी आई है। अरहर की दाल 100 से बढ़कर अब 115 रुपये किलो बिक रही है। मूंग व उरद की दाल के दाम भी बढ़े हैं। इसके अलावा गुड़, चीनी, सूजी, मैदा, बेसन के भाव भी बढ़ गए हैं। जमाखोरों की मनमानी के बाद भी जिला प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। विभागीय अधिकारियों ने भी चुप्पी साध रखी है।


• सरसों तेल 140-145 रुपये लीटर 175 रुपये लीटर
• वनस्पति घी 135 रुपये लीटर 150 रुपये लीटर
• रिफाइंड 140 रुपये लीटर 160 रुपये लीटर
• अरहर की दाल सौ रुपये किग्रा 115 रुपये किग्रा
• चना 55 रुपये किग्रा 65-70 रुपये किग्रा
• बेसन 80 से 85 रुपये किग्रा 90 रुपये किग्रा
• मैदा 25 रुपये किग्रा 28 रुपये किग्रा
• सूजी 25 रूपए किग्रा 28- 30 रूपए किग्रा
• चीनी 35 से 37 रुपये किग्रा 40 रुपये किग्रा
• गुड़ 50 से 55 रुपये किग्रा 65-70 रुपये किग्रा

वहीं इस संकट के दौर में आवश्यक सामग्रियों की जमाखोरी और अधिक कीमतें वसूलने वालों के खिलाफ प्रशासन सख्त कार्रवाई  करने में असमर्थ साबित हो रहा है । इस जिले के जिलाधिकारी समेत अन्य अधिकारी इस मनमाना महंगाई के नाम पर जमाखोरी की बात से अनजान है।