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एक ऐसे जिलाधिकारी , जो सितंबर से ही कोरोना के खिलाफ तैयार कर रहे थे 'हथियार', दूसरी लहर से ऐसे निपट रहा यह जिला

एक ऐसे जिलाधिकारी , जो सितंबर से ही कोरोना के खिलाफ तैयार कर रहे थे 'हथियार', दूसरी लहर से ऐसे निपट रहा यह जिला

नई दिल्ली ।एक  ओर जहां शादी समारोह में अमर्यादित कार्रवाई की वजह से त्रिपुरा के डीएम शैलेश कुमार यादव की आलोचना हो रही है, वहीं दूसरी ओर एक डीएम ऐसे भी हैं, जिनकी काम की वजह से तारीफ हो रही है। महाराष्ट्र में नंदूरबार जिले के डीएम के प्रयासों की वजह से आज यह जिला कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में सक्षम हो पाया है। आज इस जिले में न तो ऑक्सीजन की कमी है और न ही बेड की।

महाराष्ट्र में नंदूरबार के जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र भरुद की कुछ महीने पहले ऑक्सीजन संयंत्र लगाने की दूरदर्शिता से जिले में कोविड-19 की स्थिति से निपटने में उस वक्त मदद मिली, जब महाराष्ट्र और कई अन्य राज्य जीवनदायिनी गैस की किल्लत से जूझ रहे थे। यहां तक कि कोविड-19 की पहली लहर के कमजोर पड़ने पर भी नंदूरबार के जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र भरुद पिछले सितंबर में सरकारी अस्पताल में 600 लीटर प्रति मिनट क्षमता वाले तरलीकृत ऑक्सीजन संयंत्र को लगवाने में व्यस्त थे। नंदूरबार मुंबई से करीब 400 किलोमीटर दूर है।

2013 बैच के आईएएस अधिकारी ने माना कि आदिवासी बहुल जिले में इस तरह की सुविधा की कमी थी और ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए अन्य जगहों पर निर्भरता से कोविड-19 से मौत के मामलों में वृद्धि होगी। उनका यह फैसला इस वक्त सही साबित हो रहा है। जिला प्रशासन ने दो और संयंत्र लगाये हैं - एक सरकारी अस्पताल में और एक जिले के शहादा शहर में। दोनों पर करीब 85 लाख रुपये की लागत आयी है और दोनों संयंत्र क्रमश: फरवरी और मार्च में लगाये गये।

डॉ. राजेंद्र भरुद ने समाचार एजेंसी पीटीआई को फोन पर बताया कि नंदूरबार प्रशासन ने निजी अस्पतालों को इसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने भी दो ऑक्सीजन संयंत्र लगाये हैं। उन्होंने कहा, 'कुल मिलाकर जिले में इस वक्त पांच ऑक्सीजन संयंत्र काम कर रहे हैं और वे हर दिन 48 से 50 लाख लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहे हैं।' बता दें कि महाराष्ट्र कोरोना वायरस की दूसरी लहर से सबसे प्रभावित राज्य है।