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लखनऊ : लोगों ने घरों में किया कन्या पूजन , बच्चों में दान की गई दक्षिणा

लखनऊ : लोगों ने घरों में किया कन्या पूजन , बच्चों में दान की गई दक्षिणा

लखनऊ । नवमी से पहले नौ दिनों से चल रही नवरात्र व्रत के अंतिम दिन मां के नवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की गई। घरों में कलश के सामने पूजन के साथ मां के जयकारे लगाए गए। जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं, मां सिद्धिदात्री। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि प्राचीन शास्त्रों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व नामक आठ सिद्धियां बताई गई हैं। ये आठों सिद्धियां मां सिद्धिदात्री की पूजा और कृपा से प्राप्त की जा सकती हैं। आचार्य हनुज पांडेय ने बताया कि हनुमान चालीसा में भी ‘अष्टसिद्धि नव निधि के दाता’ कहा गया है। नौ दिनों तक व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने जहां व्रत का पारण किया वहीं कलश के जल को मां शीतला देवी की प्रतीक नीम को अर्पित किया। मां के जयकारे के साथ मध्याह्न 12 बजे के पहले कन्या पूजन के संकल्प को संरक्षित कर कर दान किया।


संक्रमण के चलते कन्याओं का पूजन भले ही न हुआ हो, ले किन कई घरों में लोगों ने अपने घर की कन्या की प्रतीक स्वरूप पूजा की और 10 कन्याओं का संकल्प संरक्षित करलिया। मंदिरों के पास लोगों ने कन्याओें को सड़क के किनारे भोजन कराया और चुनरी दान दी। गोमतीनगर में लोगों सड़क से गुजर रही कन्याओं को रोकर चुनरी और मास्क देकर पूजन किया। चौक के राजीव मेहरोत्रा ने अपनी डेढ़ साल की पोती को चुनरी पहनाकर पूजा की। 10 कन्याओं के संकल्प को संक्षित कर लिया। उनका कहना है कि बाल गृह या कुष्ठ आश्रम जाकर रकम और अनाजन दान करेंगे। आलमबाग के दर्पण लखमानी ने घर में की कन्याओं का पूजन किया। तेलीबाग की डॉ. अमिताभा ने कन्याओं की दक्षिणा को गरीबाें के भोजन के लिए समाजसेवियों को दान किया। आशियाना की अंजू रघुवंशी व पूजा मेहरोत्रा और गोमतीनगर की सुधा पांडेय ने भी पूजन कर कन्या के दान के पैसे से गरीबों को अनाज दिया।

चारबाग के माधुरी भूषण तिवारी ने पत्नी मंजू के साथ व्रत का पारण किया और कन्याओं की दक्षिणा को मोतीनगर के बालगृह में दान करने के लिए निकाल लिया। कृष्णानगर की मानस नगर निवासी पार्वती देवी ने पोती याबी की पूजा की और 10 कन्याओं का दान कुष्ठ आश्रम में करने के लिए अलग किया। आलमबाग की रागिनी दुबे ने अपनी बेटी का पूजन कर मंदिर में दान किया। वहीं जलेबी और दही की दुकानों पर भीड़ कम रही। लोगों ने घरों में ही हलवा पूड़ी, खीर व चना बनाकर दान किया।