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भारत / चिता पर महिला के ज़िंदा पाए जाने के मामले को रायपुर के अस्पताल ने बताया 'वहम'

भारत / चिता पर महिला के ज़िंदा पाए जाने के मामले को रायपुर के अस्पताल ने बताया 'वहम'

रायपुर. राजधानी के अम्बेडकर अस्पताल पर एक परिवार ने बेहद गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया. आरोप है कि डॉक्टरों ने मरीज़ महिला को आनन फानन में मृत बताकर परिजनों को सौंप दिया लेकिन मुक्तिधाम ले जाकर जब महिला को चिता पर लेटाया गया तब मुक्तिधाम के कर्मचारियों ने देखा कि उसकी सांसें चल रही थीं. दूसरी तरफ, राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल ने ऐसे आरोपों को खारिज करते हुए इन्हें परिजनों का संदेह करार दिया.

कुशालपुर निवासी 72 वर्षीय महिला लक्ष्मी बाई अग्रवाल को बुधवार शाम 4.30 बजे राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल के कैजुअल्टी विभाग में उनकी पोती निधि जैन ने 108 एम्बुलेंस के माध्यम से भर्ती कराया था. जांच के बाद डॉक्टरों ने परिजनों को यह कहकर मरीज़ को सौंप दिया कि उसकी मौत हो गई. लेकिन इसके बाद एक चौंकाने वाला घटनाक्रम हुआ.


मृत बताई गई लक्ष्मी बाई को लेकर परिजन जब मुक्तिधाम पहुंचे, तब वहां चिता पर लेटाने के बाद अंतिम जांच की गई तो सभी दंग रह गए. परिजनों का कहना था कि उनकी सांसें चल रही थीं. एक प्राईवेट डॉक्टर को बुलाकर जांच कराई गई। इसके बाद आनन-फानन में लक्ष्मी बाई को आंबेडकर अस्पताल ले जाकर फिर भर्ती किया गया. हालांकि 20 मिनट बाद उसे डॉक्टरों ने फिर से मृत घोषित कर दिया.


गौरतलब है कि राइगर मोर्टिस Rigor mortis) यानी मृत्यु जनित कठोरता, मृत्यु को पहचानने योग्य लक्षणों में से एक होता है. यह मृत्यु के उपरान्त पेशियों में आने वाले रासायनिक परिवर्तनों के कारण होता है जिसके कारण शव के हाथ-पैर अकड़ने लगते हैं.