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पति से अलग होने की वजह बताए बिना पत्नी गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली । सत्र अदालत के समक्ष एक अजीबो-गरीब मामला आया। इसमें पति और पत्नी दोनों ने ही निचली अदालत के निर्णय को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी। दरअसल निचली अदालत ने पति की आय के हिसाब से महिला का गुजारा भत्ता तय कर दिया था।
यहां पत्नी का कहना था कि पति की आय जितनी है उसका दस फीसदी भी उसको गुजारा भत्ते के तौर पर नहीं दिया गया, जबकि पति का कहना था कि पत्नी किस आधार पर गुजारा भत्ता मांग रही है, जबकि उसने ऐसा कोई काम नहीं किया है।
साकेत कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए अग्रवाल की अदालत ने पूरे मामले को सुनने के बाद पति की दलील को न्यायसंगत माना। अदालत ने कहा कि महिला ने अपनी याचिका में स्पष्ट तौर पर पति से अलग होने की कोई वजह नहीं बताई। पति-पत्नी का संबंध एक साथ एक छत के नीचे रहने का होता है।
अगर पत्नी अपने पति से अलग होती है तो उसके पीछे कोई वजह होती है। अलग रहने का कारण बताकर पत्नी अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है, लेकिन जहां तक इस मामले का सवाल है प्रथमदृष्टया यहां पत्नी के अलग होने का कोई स्पष्ट कारण नहीं है। ऐसे में पति गुजारा भत्ता देने के दायरे में नहीं आता। कोर्ट ने कहा कि पति से अलग होने की वजह बताए बिना पत्नी गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है।
वहीं, पत्नी का कहना था कि पति की प्रतिमाह लाखों रुपयों की आमदनी है, लेकिन निचली अदालत ने महज कुछ हजार रुपये का गुजारा भत्ता तय कर मामले का निपटारा कर दिया है।
सत्र अदालत ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद तय किया कि निचली अदालत दोबारा से दोनों पक्षों को सुने। इसमें पत्नी से अलग होने का कारण भी जाना जाए। इसके अलावा पत्नी की उस दलील को भी सुना जाए, जिसके मुताबिक उसे कम गुजारा भत्ता मिल रहा है। इसके बाद इस मामले में निर्णय पर पहुंचा जाए। अदालत ने इस मामले की फाइल को दोबारा संबंधित अदालत में स्थानांतरित कर दिया है।