
लखनऊ । कोरोना काल में वेंटिलेटर की मारामारी से पूरा मध्य यूपी जूझ रहा है। मध्य यूपी के आठ जिलों में टेक्नीशियन व सपोर्टिंग स्टाफ न होने से दिक्कत ज्यादा है। पीएम केयर फंड और पहले से मौजूद 250 से ज्यादा वेंटिलेटर में आधे से ज्यादा धूल फांक रहे हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति कन्नौज मेडिकल कॉलेज की है। यहां कुल 105 वेंटिलेटर थे, जिनमें 30 लखनऊ भेज दिेए गए हैं। बचे 75 इंस्टॉल तो हैं पर अनुपयोगी। जिला अस्पताल में 24 वेंटिलेटर स्टाफ न होने से बेकार हैं। यही हाल फर्रुखाबाद का है। यहां 16 वेंटिलेटर में एक भी काम नहीं कर रहा है, क्योंकि इन्हें चलाने वाला ही कोई नहीं है l कानपुर एक मात्र जिला है जहां न वेंटिलेटर की दिक्कत है न संचालन के लिए प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ और डॉक्टर की।
बरेली के 300 बेड कोविड अस्पताल में 18 वेंटिलेटर लगाए गए थे जो एक साल से चले ही नहीं। प्रशिक्षित स्टाफ की कमी के चलते कोरोना काल में भी वेंटिलेटर बंद रहे। सीएमओ डाक्टर एसके गर्ग का कहना है कि जल्द ही ट्रेंड स्टाफ मिलने की संभावना है। उसके बाद वेंटिलेटर शुरू हो सकेगा। इसी तरह बदायूं जिला अस्पताल में पांच, राजकीय मेडीकल कालेज में 103 में से 90, शाहजहांपुर मेडिकल कालेज में 54, पीलीभीत में 16 में से 14 वेंटीलेटर चले ही नहीं हैं। सब जगह प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है।
↓ जिला लखीमपुर खीरी में 30 वेंटीलेटर धूल फांक रहे हैं।
इटावा: सैफई मेडिकल में पुराने 110 वेंटिलेटर क्रियाशील, पीएम केयर से आए 45 में आठ अब लगाए जा रहे हैं, बाकी पैक रखे हैं। जिला अस्पताल में 15 पुराने, तीन पीएम केयर फंड से आए, सिर्फ एक चल रहा।
औरैया के 100 शैया जिला अस्पताल में 23 वेंटीलेटर हैं। सभी क्रियाशील हैं। सीएमओ डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि प्रशिक्षित स्टाफ और तकनीशियन की कमी है, लेकिन सभी वेंटिलेटर काम कर रहे हैं।
फर्रुखाबाद: 16 वेंटिलेटर में एक भी काम नहीं कर रहा है, क्योंकि इन्हें चलाने वाला ही कोई नहीं है l
कन्नौजः मेडिकल कॉलेज में कुल 105 वेंटिलेटर थे, जिनमें 30 लखनऊ भेज दिेए गए हैं। बचे 75 इंस्टॉल तो हैं पर अनुपयोगी। जिला अस्पताल में 24 वेंटिलेटर स्टाफ न होने से बेकार हैं।
फतेहपुर: कोरोना काल में 13 वेंटिलेटर मिले थे, जिले में कुल 29 वेंटिलेटर हैं। सिर्फ 17 रनिंग पोजीशन में हैं। गंभीर मरीजों को प्रयागराज रेफर किया जाता है।
कानपुर देहात: 24 वेंटिलेटर आए थे। ट्रामा सेंटर के कोविड अस्पताल में सिर्फ चार चल रहे हैं। 11 इंस्टाल हैं पर तकनीकी कर्मी नहीं है। शेष पैक रखे हैं।
हरदोई: कुल 34 वेंटिलेटर हैं, इनमें से 20 का इस्तेमाल हो रहा है। तकनीकी स्टाफ की कमी है। इसकी जानकारी शासन को दी जा चुकी है।
उन्नाव: दस वेंटिलेटर सरस्वती मेडिकल कॉलेज को दिए गए हैं। पीएम केयर फंड्स से मिले पांच में चार वेंटिलेटर आइसोलेशन वार्ड में चल रहे हैं।
बांदा: जिला अस्पताल में 28 और मेडिकल कॉलेज में 109 वेंटिलेटर हैं। जिला अस्पताल में एनेस्थीसिया के चार डॉक्टर और मेडिकल कॉलेज में छह डॉक्टर ड्राइव करते हैं। सभी क्रियाशील हैं।
झांसी: मेडिकल कॉलेज में 129 हैं। मेडिकल व नर्सिंग स्टॉफ को प्रशिक्षण दिया गया है। वेंटिलेटर की अभी जरूरत है, जिसकी पूर्ति की जा रही है।
हमीरपुर: जिले में 24 वेंटिलेटर है, सभी काम कर रहे हैं।
उरई: मेडिकल कॉलेज के सभी 46 वेंटिलेटर चल रहे हैं, जिला अस्पताल के 18 वेंटीलेटर निष्क्रिय हैं।
ललितपुर: कुल 23 वेंटिलेटर हैं, ऑक्सीजन की कमी से संचालन नहीं हो पाया। 10 वेंटिलेटर झांसी भेजे गए थे, जो वापस आ गए।
चित्रकूट: 28 वेंटिलेटर में 24 वेंटिलेटर क्रियाशील है।
महोबा: जिला अस्पताल में पिछले साल 4 वेंटिलेटर आए थे जो पैक रखे हैं ऑपरेटर व चिकित्सकों की कमी।