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चंदौली : इमरजेंसी में भर्ती मरीजों का ऑक्सीजन निकालकर आधी रात को भगाया , मरीज की हुई मौत
चंदौली । ‘साहब.. किसी और के किए की सजा हमें मत दीजिए। आपसे हाथ जोड़ रहे हैं, बाबूजी की हालत काफी खराब है ऑक्सीजन मत निकालिए। वो मर जाएंगे।’ ये मार्मिक शब्द उस लाचार बेटे के हैं जिसके पिता जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे। पर आक्रोश में आपा खो चुके डॉक्टरों को उन पर रहम नहीं आई। आधी रात को इमरजेंसी से उनके साथ तीन और मरीजों का ऑक्सीजन निकालकर बाहर भगा दिया।
परिजन गिड़गिड़ाते रहे, मरीज तड़पते रहे पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। घंटों ऑक्सीजन न मिलने से उस बेटे का पिता अगले दिन दम तोड़ दिया। यह मामला कहीं और का नहीं बल्कि पं. कमलापति त्रिपाठी जिला चिकित्सालय का है।
अलीनगर थाना क्षेत्र के गौसपुर कठौड़ी गांव निवासी भोला ने आरोप लगाते हुए कहा कि मेरे पिता के मौत के जिम्मेदार जिला चिकित्सालय के डॉक्टर हैं और कोई नहीं।
जिले के कोविड अस्पतालों में मरीजों के साथ लापरवाही का आरोप लगाते हुए आए दिन उनके परिजनों की ओर से हंगामे और तोड़फोड़ की घटनाएं आए दिन हो रही हैं। जिले में कोविड अस्पतालों की हकीकत बयां करती यह दर्द भरी कहानी है अलीनगर थाना क्षेत्र के गौसपुर कठौड़ी गांव निवासी भोला की। भोला प्रसाद ने बताया कि 29 अप्रैल की रात उसके पिता सुंदर प्रसाद (65) को सांस लेने में परेशानी होने लगी। पहले उन्हें एक निजी चिकित्सालय ले गये। जहां ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं होने के कारण चिकित्सकों ने उसे पं. कमलापति चिकित्सालय जाने को कहा।
जिस पर वह आनन-फानन में अपने पिता को जिला चिकित्सालय ले गये। आरोप है कि पहले तो चिकित्सकों ने उन्हें वहां भर्ती करने से इंकार कर दिया। काफी हाथ पैर जोड़ने के बाद उन्हें एमसीएच विंग में रेफर कर दिया। बताया कि वहां से भी लौटा दिया गया। जब वापस लौटकर आये तो काफी विनती करने के बाद उसके पिता को इमरजेंसी वॉर्ड में भर्ती कर दिया। जहां पहले से तीन मरीज थे। उसने बताया कि इस दौरान एक मरीज और वहां पहुंचा जिसकी हालत गंभीर थी। उसे भी एमसीएच विंग में भेज दिया गया। इस बीच मरीज की मौत हो गयी।
बताया कि मरीज के परिवार वालों ने वहां तोड़फोड़ की। डॉक्टरों से नोकझोंक हुई। इसके बाद डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने कार्य ठप कर दिया। भोला ने बताया कि आक्रोशित डॉक्टर आधी रात को लगभग तीन बजे उसके पिता का ऑक्सीजन मास्क हटाकर अस्पताल से बाहर निकालने लगेे। वह रोता रहा, उनके आगे हाथ जोड़ कर मिन्नते करता रहा, कि ऐसा न करें। पिता की मौत हो जाएगी।
क्रोध में अपना चिकित्सकीय धर्म भूल चुके डॉक्टरों ने ऑक्सीजन निकालकर उसके पिता और तीन और गंभीर मरीजों को बाहर कर दिया। भोला ने बताया कि ऑक्सीजन हट जाने की वजह से पिता की सांस जोर-जोर से फूलने लगी। वह कई अस्पताल में दौड़ता रहा। आखिरकार एक निजी चिकित्सालय ने भर्ती लिया। पर तब तक शनिवार की दोपहर के 11 बज चुके थे। करीब आठ घंटे तक ऑक्सीजन न मिलने से उसके पिता की हालत काफी बिगड़ चुकी थी। एक दिन बाद उनकी मौत हो गई। भोला ने बताया कि अगर डॉक्टरों ने ऑक्सीजन नहीं हटाया होता तो मेरे पिता आज जिंदा होते। उनकी मौत के जिम्मेदार जिला चिकित्सालय के डॉक्टर हैं।