प्रयागराज : रेप के एक मामले में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने एक वकील को अग्रिम ज़मानत दे दी। महिला ने कहा था कि वकील ने बाद में पशुपतिनाथ मंदिर में उसके साथ शादी कर ली थी। कोर्ट ने कहा है कि शादी के बाद रेस का मामला नहीं बनता। यह केस व्यापारिक विवाद का ज्यादा है।
जस्टिस सिद्धार्थ की एकल खंडपीठ ने अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए कहा है कि धारा 323, 504 और 506 के इस मामले में आरोपों के लिए कोई दस्तावेजी सुबूत नहीं जुटाए गए हैं।
महिला ने अपनी शिकायत है कि वह एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करती थी। उसने विधान व्यास नाम के इस को अपनी नियोक्ता कंपनी के साथ जोड़ लिया था। वकील ने उसका विश्वास हासिल कर लिया फिर उसने कुछ शेयर सार्टिफिकेट अपने नाम करा लिए और इस तरह वकील होने के बावजूद कंपनी का डायरेक्टर बन गया। फरवरी 2018 से यह शख्स महिला के घर आने लगा। वे दोनों घर के बाहर भी मुलाकातें किया करते थे। अप्रैल 2018 में वे दोनों चंडीगढ़ के ताज होटल में ठहरे।
इस बीच एडवोकेट ने कंपनी से अपने निजी खर्चों के लिए दावा करना शुरू कर दिया। आगे विश्वास जीतते हुए एडवोकेट ने शादी का वादा करते हुए उसका यौन शोषण शुरू कर दिया। लेकिन, लड़की ने जब शादी करने को कहा तो वह उसे एवॉइड करने लगा। बाद में इन दोनों ने मुंबई, नेपाल और दुबई की यात्रा की। नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर ने वकील ने लड़की को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
कोर्ट ने कहा है कि वकील के विरुद्ध लगाए गए आरोप अस्पष्ट हैं और ऐसा लगता है कि यह दो पार्टियों के बीच व्यावसायिक विवाद का मामला है। कोर्ट ने इस बात को भी रेखांकित किया है कि महिला वकील से पांच साल बड़ी है। एफआइआर से भी दिखता है कि वकील ने महिला के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध कोई ज़ोर-ज़बर्दस्ती नहीं की। अतएव रेप का आरोप नहीं लगता।
कोर्ट ने कहा है कि वह इन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए वकील की अग्रिम जमानत की अर्जी मंजूर करती है। यह ज़मानत तब तक लागू मानी जाएगी जब तक कि दंड प्रक्रिय संहित के सेक्शन 173 (2) के तहत पुलिस द्वारा पेश की गई रिपोर्ट का अदालत संज्ञान नहीं ले लेती।
अग्रिम जमानत की याचिका लगाने वाले वकील ने कोर्ट से कहा कि उसके मुवक्किल को व्यावसायिक विवाद के चलते गलत ढंग से फंसाया गया है। जमानत याचिका में शारीरिक संबंधों के बाद पशुपतिनाथ मंदिर में दोनों के बीच शादी होने की बात को भी याद दिलाया गया है। यह भी कहा गया है कि आरोपी को इस साल जनवरी में भी एक मामले में बेल मिली थी, जिसका उसने उल्लंघन नहीं किया था।