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सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के UP में ‘राम भरोसे चिकित्सा व्यवस्था‘ वाले फैसले पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के UP में ‘राम भरोसे चिकित्सा व्यवस्था‘ वाले फैसले पर लगाई रोक

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को प्रत्येक गांव में आईसीयू सुविधाओं के साथ दो एम्बुलेंस उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य में 97,000 गांव हैं और एक महीने की समय सीमा तक लागू करना असंभव है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के यूपी में ‘राम भरोसे' टिप्पणी वाले फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि यूपी सरकार इस टिप्पणी को विरोध में ना लेकर एक सलाह के तौर पर ले.

अदालत ने हाईकोर्ट को नसीहत देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय कोविड प्रबंधन मामलों से निपटने के दौरान उन मुद्दों से बचे जिनका अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट अखिल भारतीय मुद्दों से निपट रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी हाईकोर्ट को अपने आदेश को लागू करने की व्यावहारिकता पर विचार करना चाहिए और उन आदेशों को पारित नहीं करना चाहिए जिन्हें लागू करना असंभव है. सुप्रीम कोर्ट ने हर नर्सिंग होम में ऑक्सीजन बेड होने के फैसले पर रोक लगा दी है.


बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने ग्रामीण आबादी की जांच बढ़ाने और उसमें सुधार लाने का राज्य सरकार को निर्देश दिया और साथ ही पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा था. टीकाकरण के मुद्दे पर अदालत ने सुझाव दिया कि विभिन्न धार्मिक संगठनों को दान देकर आयकर छूट का लाभ उठाने वाले बड़े कारोबारी घरानों को टीके के लिए अपना धन दान देने को कहा जा सकता है.

चिकित्सा ढांचे के विकास के लिए अदालत ने सरकार से यह संभावना तलाशने को कहा कि सभी नर्सिंग होम के पास प्रत्येक बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि 20 से अधिक बिस्तर वाले प्रत्येक नर्सिंग होम व अस्पताल के पास कम से कम 40 प्रतिशत बेड आईसीयू के तौर पर होने चाहिए और 30 से अधिक बेड वाले नर्सिंग होम को ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाने की अनिवार्यता की जानी चाहिए.

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने कहा की करोना पर कई बार हाई कोर्ट ऐसे आदेश दे रहे है जिसे लागू करना मुश्किल है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट आदेश दे की करोना पर सिर्फ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ही सुनवाई करें. मुख्य न्यायाधीश हालात को ज्यादा बेहतर समझ पाएंगे. तुषार मेहता ने ये भी कहा की करोना के मामले में एक हाई कोर्ट का आदेश दूसरे राज्य पर भी असर डालता है. जैसे ऑक्सीजन की सप्लाई अगर एक राज्य में ज्यादा हो तो दूसरे राज्य में कमी हो सकती है.

इसलिए हाई कोर्ट को राष्ट्रीय समस्या को देख कर आदेश देना चाहिए। हाई कोर्ट की टिप्पणी से भी काम कर रहे अधिकारियों पर नकारात्मक असर पड़ता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा की वो हाई कोर्ट को रोकना नही चाहते. इसलिए कोई बीच का रास्ता निकाला जाए जिससे सरकार और अदालत दोनो की गरिमा बनी रहे.