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मध्य प्रदेश: भोपाल में बच्चों के लापता होने की स्थिति गंभीर, आठ साल से प्रतिदिन 22 बच्चे हो रहे गुमशुदा।
मध्य प्रदेश। भोपाल में बच्चों के लापता होने की स्थिति काफी गंभीर है। बीते आठ साल के आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि प्रतिदिन 22 बच्चे प्रदेश से लापता हुए। इनमें से 30 फीसद बच्चों की बरामदगी नहीं हो पाती है। लापता होने वाले कुल बच्चों में बालिकाओं की संख्या करीब ढाई गुना है। आशंका है कि खरीद-फरोख्त के चलते इन बच्चों का अपहरण किया जा रहा है। आदिवासी बहुल बैतूल, छिंदवाड़ा, डिंडौरी, मंडला आदि से बच्चों के लापता होने की घटनाएं अधिक हुई हैं। इनमें आदिवासी बालिकाओं की संख्या ज्यादा है।
लापता बच्चों की समस्या को गंभीर मानते हुए पुलिस मुख्यालय की ओर से इसी वर्ष जनवरी में ऑपरेशन मुस्कान चलाया गया था। इसमें हजारों बालिकाओं का पता लगाया गया था। इनमें बड़ी संख्या ऐसी बालिकाओं की थीं, जिन्हें राज्य के बाहर से बरामद किया गया था। जिन राज्यों से बालिकाओं की बरामदगी की गई थी, उनमें गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, तेलंगाना, बंगाल जैसे दूरदराज के राज्यों में भी प्रदेश से लापता बालिकाएं मिली थीं।
आधिकारिक तौर पर इस समस्या के निराकरण के दावे किए जाते हैं लेकिन बच्चों के लापता होने की समस्या प्रदेश में गंभीर है। वर्ष 2013 से 2020 के बीच 67125 बच्चे लापता हुए हैं। इनमें से बालिकाओं की संख्या 48389 है। स्थिति अभी भी नियंत्रण में नहीं है। इसी के चलते प्रदेश के महिला थानों को हाल में मानव तस्करीरोधी इकाई भी प्रदेश सरकार ने घोषित किया है। इन थानों में अब मानव तस्करी से संबंधित मामलों की पड़ताल भी की जाएगी।
महिला अपराध शाखा की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने कहा कि बच्चों के लापता होने की घटनाओं को लेकर पुलिस सतर्क रहती है बालिकाओं के मामले में तत्काल मुकदमा कायम किया जाता है, चाहे बालिका अपनी मर्जी से क्यों न गई हो। चार माह तक पुलिस उसकी तलाश नहीं कर पाती है तो मानव तस्करीरोधी इकाई के पास मामला चला जाता है।
प्रदेश में ऑपरेशन मुस्कान चलाया जा रहा है। कई प्रकरणों में बच्चे लापता होते हैं और फिर लौट आते हैं लेकिन लोग उसकी जानकारी नहीं देते। नाबालिग बालिकाओं के मामले में यह अधिक होता है। बालिका जब लापता हुई तब नाबालिग थी और फिर शादी करके कुछ साल बाद लौट आई। लौटने के समय बालिका बालिग हो जाती है लेकिन केस नाबालिग के तौर पर दर्ज होता है तो कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए लोग उसके आने की बात छिपाते हैं। ऐसे में लापता बच्चों का आंकड़ा अधिक दिखता है।