लखनऊ । बारिश को तरस रहे और गर्मी से बेहाल राज्य के लोग पंखा, एसी, कूलर जैसे विद्युत उपकरणों पर अधिक निर्भर हो गए हैं। लिहाजा राज्य में बिजली की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। महज 16 दिन बाद में ही राज्य में अब तक के सबसे अधिक बिजली की मांग का रिकॉर्ड शुक्रवार की रात को टूट गया। 30 जून की तिथि में दर्ज सर्वाधिक बिजली मांग का रिकॉर्ड जो 24926 मेगावाट था, उससे आगे निकलते हुए 16 जुलाई को बिजली की मांग 25032 मेगावाट पर पहुंच गई। इतनी बिजली की आपूर्ति करने में बिजली महकमा पास हो गया।
प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के पिछले चार साल में 1.38 करोड़ से अधिक घरों को निशुल्क नया बिजली कनेक्शन देने, बिजली से वंचित रहे 1.04 लाख राजस्व ग्राम तथा 2.84 लाख मजरों तक बिजली पहुंचाने के साथ ही शहरों को 24 घंटे और ग्रामीण अंचल में 18 से 22 घंटे तक बिजली की सप्लाई दिए जाने को भी बढ़ती मांग का बड़ा कारण माना जा रहा है। राज्य में बढ़ता औद्योगिकरण भी इसका प्रमुख कारण है। लोगों की दिनचर्या में तेजी से एसी तथा अन्य इलेक्ट्रीक व इलेक्ट्रानिक उपकरणों का शामिल होना भी अहम कारण है।
बढ़ती मांग के सापेक्ष बिजली की सप्लाई किए जाने का श्रेय ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिया है। इतनी बड़ी क्षमता में बिजली की सुचारू सप्लाई के लिए ऊर्जा विभाग के कार्मिकों को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में बिजली की पर्याप्त उपलब्धता है। महज साढ़े तीन साल में प्रदेश में प्रतिदिन नौ हजार मेगावाट बिजली की मांग बढ़ी है। उन्होंने बताया है कि प्रदेश की ट्रांसमिशन क्षमता वर्ष 2016-17 के 16348 मेगावाट से 9000 मेगावाट बढ़कर अब 26000 मेगावाट हो चुकी है। इस वित्तीय वर्ष के अंत तक यह 28000 मेगावाट तथा साल 2025 तक प्रदेश में यह क्षमता 32400 मेगावाट होगी। ट्रांसमिशन की आयात क्षमता भी वर्ष 2016-17 के 7800 मेगावाट के मुकाबले 6800 मेगावाट बढ़कर अब 14,600 मेगावाट हो गई है।
एक साल में तीन बार टूटा बिजली की मांग का रिकॉर्ड
पिछले साल 2020 में 17-18 जुलाई को राज्य में सर्वाधिक बिजली मांग का रिकॉर्ड 23867 मेगावाट दर्ज किया गया था। इसके बाद 30 जून 2021 को 24926 मेगावाट आपूर्ति का रिकॉर्ड बना। अब 16 जुलाई को 25032 मेगावाट का नया रिकॉर्ड दर्ज हो गया है।
उन्होंने बताया है कि बताया कि प्रदेश सरकार ने इस अवधि में 765 केवीए के 12 उपकेंद्र 400 केवीए के 34 उपकेंद्र 220 केवीए के 72 तथा 132 केवीए के 119 पारेषण उपकेंद्रों का निर्माण करवाया है। जिसकी वजह से राज्य में बिजली की आपूर्ति का तंत्र बहुत बेहतर हो चुका है। सरकार बनने से अब तक 45 हजार 85 सर्किट किमी. पारेषण लाइन भी बनाई गई है। इस समय प्रदेश में सभी विधाओं की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 26937 मेगावाट है जो कि चार वर्ष पूर्व की क्षमता से लगभग 4000 मेगावाट अधिक है। 2024 तक उत्पादन क्षमता में 8262 मेगावाट की वृद्धि होगी। वर्ष 2022 तक ऊर्जा विभाग के राज्य तापीय विद्युतगृहों का उत्पादन 7260 मेगावाट से बढ़कर 12734 मेगावॉट हो जाएगा। 34500 मेगावाट बिजली की उपलब्धता रहेगी। भाजपा सरकार बनने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में 54 फीसदी ज्यादा बिजली दी जा रही है।
उ.प्र. पावर कारपोरेशन लि. के चेयरमैन एम. देवराज का कहना है कि अभी और 700 मेगावाट मांग बढ़ जाए तो भी राज्य में बिजली की सप्लाई सामान्य ही रहेगी। इतनी बिजली राज्य के पास उपलब्ध है। अगले वर्ष गर्मी के मौसम के लिए क्षमता वृद्धि के काम किए जा रहे हैं। बढ़ती मांग के सापेक्ष बिजली सप्लाई सफलता पूर्वक करने पर उन्होंने विभाग के कार्मिकों को बधाई दी है। इंजीनियरों से रात के समय क्षेत्र भ्रमण के कार्यक्रम को निरंतर बनाए रखने को कहा है। निर्देश दिया है कि उपकेंद्रों से लिए जा रहे ब्रेकडाउन की नियमित समीक्षा भी की जाए।