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यूपी: वाराणसी में 31 गरीबों के कटे हाथ को मिला रोबोट का साथ, ग्लास और जग उठाकर किया ट्रायल।
वाराणसी। 31 दिव्यांगों के टूटे हाथ को रोबोट का सहारा मिल गया। स्वदेशी कृत्रिम हाथ लगते ही चेहरे पर मुस्कान लिए सभी लाभार्थी अपने परिवार के साथ घर की ओर चल दिए। इस दौरान जितने भी लोगों को रोबोटिक हैंड कृत्रिम हाथ लगाए गए वे सभी जग, ग्लास और कप उठाकर ट्रायल करने में जुटे थे।
मछोदरी स्थित राजा बलदेव दास बिड़ला अस्पताल में भारत विकास परिषद वरुणा सेवा संस्थान की ओर से शनिवार को लगाया गया यह स्वचालित हाथ इतना प्रभावी है कि हथेली में रखी गई वस्तुओं को भी हिलाया-डुलाया जा सकता है। वहीं मुट्ठी बांधकर हल्के-फुल्के खेल भी खेले जा सकते हैं। इसके साथ ही प्रतिदिन के लगभग सभी कार्य इस रोबोटिक हैंड से पूरे किए जा सकते हैं।
इस हाथ में दिए स्विच काफी चमत्कारिक हैं, उन्हें दबाते ही हाथ की हथेली और अंगुलियां हरकत करने लगती हैं। अलग-अलग फंग्शन के लिए इस रोबोटिक हैंड में कई फीचर दिए गए हैं। इस दौरान प्रियंका ने पास में पड़े पानी भरे एक ग्लास को उठाकर लोगों को रोबोटिक हैंड की क्षमता से रूबरू कराया। प्रियंका अभी तक कोई काम नहीं करती थी, मगर हाथ लगने के बाद उन्होंने स्वरोजगार और अपने सामाजिक दायित्वों को पूरा करने की बात कही।
बिड़ला अस्पताल के डाक्टर इस काम को अंजाम दे रहे हैं, वहीं संस्थान में फिजियोथेरेपी सेंटर के कई छात्र-छात्रा भी इस कार्य में जरूरी हांथ बंटा रहे हैं। संस्थान की ओर से इस रोबोटिक हैंड का संचालन कर रहे डा. पंकज सिंह ने बताया कि इंटरनेट मीडिया और अखबारों के माध्यम से गरीबों को मुफ्त में रोबोटिक हैंड लगाने की सूचना दी गई थी। जिसके बाद करीब 90 के आसपास लोगों ने पंजीकरण करा लिया। दो दिन तक चले इस अभियान में हर रोज 30-35 लोगों को रोबोटिक हैंड इंस्टाल किए जा रहे हैं।
डा. सिंह ने कहा कि इनाली फाउंडेशन ने अभी तक देश भर में 2500 से अधिक रोबोटिक हैंड लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि रोजाना 40 हाथ लगाने का लक्ष्य रखा गया है। अभियान के दूसरे दिन शनिवार को बिड़ला अस्पताल में सिंधी विकास समिति व पूज्य सिंधी संस्थान से संरक्षक और अन्य पदाधिकारी रहे।