Health
हर 5 में से एक व्यक्ति को लिवर की बीमारी, जानें कैसे इसे रखें सुरक्षित और स्वस्थ्य
नये जमाने की लाइफस्टाइल में लिवर की बीमारी होना अब आम बात हो चुकी है. पहले हेपेटाइटिस बी और सी की वजह से सबसे ज्यादा लिवर की बीमारियों के बारे में पता चलता था. अब मोटापा और शराब का अत्यधिक सेवन भी इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़ा रहा है. इन्हीं कारणों से भारत में हर साल औसतन 10 लाख लोग लिवर सिरोसिस से ग्रसित होते हैं. हालांकि, इतनी खराब स्थिति के बाद भी इसे लेकर जागरुकता नहीं है. एक आंकड़े की मानें तो हर 5 में से एक भारतीय व्यक्ति को लिवर की बीमारी है.
ऐसे में जरूरी है कि इस बीमारी से बचने के लिए पहले से ही कुछ सावधानियां बरती जाएं. हमें यह जरूर पता होना चाहिए कि आखिर किन वजहों से लीवर में समस्याएं होती हैं, इसके लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है. इसीलिए टीवी9 हिंदी ने कोकिलाबेन धीरुभाई अम्बानी हॉस्पिटल में एचपीबी व लिवर ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ कंचन मोटवानी से बात की है.
इसके लिए सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि लीवर हमारे शरीर में क्या काम करता है. हम जो भी खाना खाते हैं, उसे पचाने में लिवर ही मदद करता है. खाना पचने के बाद ही हमारी बॉडी में उसके पौष्टिक तत्व पहुंचते हैं. खाना पचने की प्रक्रिया में कुछ टॉक्सीन्स यानी जहरीले पदार्थ भी होते है. जब ये टॉक्सीन्स हमारे लिवर को प्रभावित करने लगते हैं तो लिवर खराब होने लगता है.
लिवर खराब होने के प्रमुख तौर पर तीन कारण होते हैं. पहला कारण तो शराब ही है. शराब हमारे लिवर को सीधे तौर पर डैमेज करता है. शराब की वजह से लिवर में चर्बी भी जमा होने लगता है. इससे भी हमारा लिवर प्रभावित होता है. दूसरा कारण हमारे शरीर में जमा होने वाली चर्बी भी है.
लिवर में भी चर्बी जमा होने से इसपर असर पड़ता है. लिवर की बीमारियों का तीसरा कारण वायरल इन्फेक्शन भी है. जैसे हेपेटाइटिस बी व सी. इससे भी लिवर सेल्स पर सीधे असर पड़ता है.
फैटी लिवर क्या होता है और यह कितना खतरनाक है?
आज की लाइफस्टाइल में फैटी लिवर का रिस्क बढ़ जाता है. खासकर एक ऐसे समय में, जब घर से काम कर रहे हैं और फास्ट फूड खाने का चलन तेजी से बढ़ता रहा है. यही कारण है कि ये भारतीय आबादी में भी बहुत कॉमन हो गया है. जो खाना हम खाते हैं, उनमें कई तरह के पदार्थ होते हैं, जैसे की कार्बोहाइड्रेट्स. ये केवल मीठे में ही नहीं बल्कि लगभग हर तरह के खाने में पाए जाते हैं.
ये डाइजेशन के दौरान फैट में कन्वर्ट होकर हमारे लिवर में जमा होने लगता है. जब इसकी मात्रा बढ़ने लगती है तो ये हमारे लिवर को अंदर से डैमेज करने लगता है. इसे ही फैटी लिवर कहते हैं. दुर्भाग्यपूर्ण, शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं. इसीलिए इसके बारे में पता नहीं चलता है.
फैटी लिवर का दूसरा कारण डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां हैं. मोटापे की वजह से भी लीवर पर असर पड़ता है. मोटापे या डायबिटीज जैसी बीमारियों में जो भी बॉडी एक्स्ट्रा शुगर या चर्बी होती है, वो सब हमारे में लिवर में जमा होकर उसे खराब करते हैं. लेकिन, इसका मतलब ये नहीं है कि दुबले-पतले लोगों में फैटी लिवर की शिकायत नहीं हो सकती है. बहुत हद तक यह लाइफस्टाइल पर भी निर्भर करता है.
लिवर फाइब्रोसिस क्या है?
जब लिवर में जमा फैट जमा होता है तो वो लिवर को डैमेज भी करता है. इसे स्कारिंग भी कहते हैं. जब लिवर सामान्य तुलना में कड़ा होता जाता है तो इसे लिवर फाइब्रोसिस कहते हैं. यह फैटी लिवर का अगला स्टेज होता है.
फाइब्रोसिस का ही अगला स्टेप लिवर सीरोसिस है. अंदर ही अंदर जब लिवर खराब हो जाता है और इसे डैमेज को ठीक नहीं किया जा सकता है तो इसे लिवर सिरोसिस कहते हैं. ये जानलेवा हो सकता है.
लिवर की बीमारियों के साथ एक सबसे खराब बात ये है कि इसके बारे में पता चलता है. शुरआत में इसके लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. किसी में वजन घटना, खाना हजम न होना, पेट दर्द जैसे शिकायतें हो सकती हैं. चूंकि, ये सामान्य परेशानियां हैं, इसलिए किसी का ध्यान लिवर पर नहीं जाता है. फैटी लिवर का तब पता चलता है, जह नियमित टेस्ट करते हैं. इस बातचीत को पूरा हिस्सा देखने के लिए आप नीचे दिए गए वीडियो पर क्लिक करें.