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यूपी: मुरादाबाद में 50 लाख रुपये के मुआवजे के लिए बना दी फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट, जांच में खुल गई पोल।
मुरादाबाद। कोरोना संक्रमण से सरकारी कर्मचारी की मौत पर 50 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा होने के बाद से आवेदन होने शुरू हो गए हैं। लेकिन, इसमें फर्जीवाड़े की पूरी-पूरी आशंका है। ऐसा ही एक मामला मुरादाबाद में सामने आया है। ट्रैफिक पुलिस में होमगार्ड ने आंगनबाड़ी पत्नी की फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट बनाकर विभाग में लगा दी।
कोविन पोर्टल पर मामले का पर्दाफाश होने पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने मामले को दबा दिया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी मामले को ऐसे ही निपटा दिया है। शायद ये प्रदेश का पहला मामला होगा। जिसमें फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट बनाकर लगाई गई होगी। डिलारी निवासी एक महिला बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता थी। उनकी ड्यूटी सियाली खद्दर गांव में लगी थी। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में उन्होंने काम भी किया।
चार मई को सांस लेने में दिक्कत हुई तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया। पांच मई को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सामान्य मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग में भी कोई रिकार्ड नहीं था। पति मुरादाबाद ट्रैफिक पुलिस में होमगार्ड के पद पर काम करते हैं। 50 लाख रुपये के मुआवजे के लिए उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग में फाइल लगा दी। कोरोना रिपोर्ट की जांच के लिए सीएमओ कार्यालय को फाइल भेजी गई।
अधिकारियों ने विद्यावती की जानकारी कोविन पोर्टल पर चेक की तो कोई नाम नहीं मिला। कोरोना संक्रमण की पुष्टि नहीं होने पर 420 का मामला बताते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों ने फाइल रुकवा दी। शायद ये उत्तर प्रदेश का पहला मामला होगा। जिसमें मुआवजे के लिए फर्जी रिपोर्ट लगाई गई है। कोरोना से मौत के मामलों को कोविन पोर्टल पर चेक करने के साथ ही अस्पताल के रजिस्टरों से भी मिलान किया जाता है।
पोर्टल पर विद्यावती का नाम शो नहीं हो रहा था। इसके बाद फाइल में लगी आरटीपीसीआर रिपोर्ट की हार्ड कापी से सीरियल नंबर भी चेक किया गया। इसका मिलान नहीं हो पाया था। इसकी जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी को भी दे दी गई।
कोरोना से दिवंगत हुए कर्मचारी की फाइल आंगनबाड़ी के पति द्वारा एक माह पहले दी गई थी। कोरोना से मौत के सत्यापन के लिए फाइल मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को भेजी गई थी। वहां कोरोना रिपोर्ट सत्यापित नहीं हुई। इसके बाद हमने मना कर दिया। मुआवजे का पैसा दिया जाना संभव नहीं है। इसकी रिपोर्ट बनाकर निदेशक को भी भेज दी गई है।